क्या बिहार विधानसभा चुनाव में बेनीपुर के ब्राह्मण मतदाता होंगे निर्णायक? जदयू के गढ़ में एनडीए की मज़बूती

सारांश
Key Takeaways
- बेनीपुर विधानसभा क्षेत्र की राजनीतिक स्थिति पर ब्राह्मण समुदाय का प्रभाव है।
- पानी और स्वास्थ्य सेवाएं स्थानीय मतदाताओं के लिए प्रमुख चिंता का विषय हैं।
- एनडीए और जदयू के बीच कांटे की टक्कर है।
- 2024 चुनावों में मतदाता समीकरण बदल सकते हैं।
- बेनीपुर धार्मिक आस्था का केंद्र है, जिससे श्रद्धालु यहां आते हैं।
पटना, 19 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। दरभंगा जिले का बेनीपुर विधानसभा क्षेत्र राज्य की राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह सीट 1967 में अस्तित्व में आई थी, लेकिन प्रारंभिक तीन चुनावों के बाद इसे समाप्त कर दिया गया। फिर 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिश पर इसे फिर से बहाल किया गया। अब तक यहां कुल छह विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। बेनीपुर, बहेरी और बिरौल प्रखंड इस विधानसभा क्षेत्र में शामिल हैं और यह दरभंगा लोकसभा सीट का हिस्सा है।
भौगोलिक दृष्टि से बेनीपुर एक अर्ध-शहरी क्षेत्र है, जहां छोटे कस्बों और ग्रामीण बस्तियों का संगम है। दरभंगा जिला मुख्यालय यहां से लगभग 30 किलोमीटर पश्चिम में है, जबकि मधुबनी 37 किलोमीटर उत्तर में, समस्तीपुर 54 किलोमीटर दक्षिण में और रोसड़ा 45 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित है। यह क्षेत्र सड़क और रेल दोनों माध्यमों से बिहार के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
उपजाऊ भूमि के कारण यहां धान, गेहूं, मक्का और दालों की अच्छी खेती होती है। लेकिन, उद्योगों की कमी और रोजगार के अवसरों की कमी के कारण बड़ी संख्या में युवा प्रवास के लिए मजबूर होते हैं।
सामाजिक दृष्टि से बेनीपुर की राजनीति पर ब्राह्मण समुदाय का वर्चस्व रहा है। अब तक यहां से चुने गए पांच विधायक इसी समुदाय से आए हैं। ब्राह्मण मतदाता यहां निर्णायक माने जाते हैं, जबकि यादव, कुशवाहा, दलित और मुस्लिम समुदायों की भी महत्वपूर्ण भागीदारी है, जो चुनावी समीकरण को बदलने की क्षमता रखते हैं। स्थानीय समस्याओं की बात करें तो यहां पीने के पानी की कमी और स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव सबसे बड़ी चुनौतियां हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में जलापूर्ति की उचित व्यवस्था नहीं है और कोई उच्चस्तरीय अस्पताल भी नहीं है।
राजनीतिक इतिहास की बात करें तो 2010 में भाजपा के गोपाल जी ठाकुर ने राजद के हरे कृष्ण यादव को हराकर जीत हासिल की थी। 2015 में जदयू के सुनील चौधरी ने भाजपा उम्मीदवार गोपाल जी ठाकुर को हराया। इसके बाद 2020 में जदयू के विनय कुमार चौधरी ने कांग्रेस उम्मीदवार को हराकर सीट पर कब्जा बनाए रखा। पिछले दो चुनावों से जदयू इस सीट पर मजबूत स्थिति में है।
धार्मिक आस्था के केंद्र के रूप में बेनीपुर भी जाना जाता है। यहां बेनीपुर प्रखंड के नवादा गांव में हयहट्ट देवी मंदिर विशेष महत्व रखता है। इस मंदिर में मां दुर्गा की मूर्ति की जगह उनके सिंहासन की पूजा की जाती है। नवरात्रि के दौरान नेपाल और मिथिलांचल के विभिन्न जिलों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं।
जनता की प्राथमिकताएं पानी, स्वास्थ्य, रोजगार और प्रवास की समस्याएं हैं। यदि ब्राह्मण वोट किसी दिशा में झुकता है, तो चुनावी समीकरण उसी के अनुसार बनेगा, लेकिन यादव, मुस्लिम और दलित मतदाता भी इस बार निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।
जदयू वर्तमान में इस सीट पर मजबूत है और संगठनात्मक पकड़ भी रखता है। हालांकि, भाजपा, जिसने 2010 में यहां जीत हासिल की थी, ब्राह्मण वोटों के सहारे वापसी की कोशिश कर रही है। कांग्रेस और राजद भी समीकरण साधने के लिए तैयार हैं।
2024 के चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, बेनीपुर विधानसभा की अनुमानित जनसंख्या 5,08,040 है, जिसमें 2,65,303 पुरुष और 2,42,737 महिलाएं शामिल हैं। कुल मतदाताओं की संख्या 3,01,342 है, जिनमें 1,58,785 पुरुष, 1,42,552 महिलाएं और 5 थर्ड जेंडर हैं।