क्या 'पीएम मित्र पार्क' पर्यावरण संरक्षण की मिसाल बनेगा?

सारांश
Key Takeaways
- पीएम मित्र पार्क उत्तर प्रदेश में औद्योगिक विकास और पर्यावरण संरक्षण का संतुलन स्थापित करेगा।
- 55 प्रतिशत भूमि औद्योगिक इकाइयों के लिए आरक्षित की गई है।
- 11 प्रतिशत भूमि हरियाली के लिए सुरक्षित रखी गई है।
- 1,680 करोड़ रुपए की लागत से यह परियोजना तैयार की जा रही है।
- एक लाख से अधिक रोजगार सृजित होने की संभावना है।
लखनऊ, 8 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में उत्तर प्रदेश सरकार एक नई औद्योगिक क्रांति की ओर अग्रसर है। राज्य में प्रस्तावित पीएम मित्र पार्क न केवल उद्योगों के लिए सुविधाजनक साबित होगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के मामले में एक आदर्श उदाहरण भी बनेगा। यह पार्क सरकार की नीति 'विकास के साथ पर्यावरण' को साकार करने में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
योगी सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि किसी भी औद्योगिक विकास परियोजना में हरियाली और पारिस्थितिक संतुलन से कोई समझौता नहीं होगा। इसी कारण लखनऊ और हरदोई जिलों में प्रस्तावित पीएम मित्र पार्क का लेआउट प्लान पर्यावरणीय दृष्टि से पूरी तरह संतुलित रहेगा।
ड्राफ्ट लेआउट योजना के अनुसार, 55 प्रतिशत भूमि पर औद्योगिक इकाइयाँ स्थापित की जाएंगी। इसके अलावा, 3 प्रतिशत भूमि रेसीडेंशियल उपयोग के लिए, 4 प्रतिशत संस्थानिक, 2 प्रतिशत परिवहन हब, और 4 प्रतिशत यूटिलिटीज के लिए आरक्षित की गई है। खास बात यह है कि पूरे पार्क की 11 प्रतिशत भूमि हरियाली और फल लगाने के लिए सुरक्षित रखी गई है, जिसमें ग्रीन एरिया, ग्रीन बेल्ट और बफर जोन विकसित किए जाएंगे। यह कदम न केवल प्रदूषण को कम करेगा बल्कि स्थानीय जैव विविधता को भी संरक्षित रखेगा।
इसके अलावा, 13 प्रतिशत क्षेत्र में नई सड़कों का निर्माण किया जाएगा, जबकि 0.1 प्रतिशत हिस्से में मौजूदा सड़कों को सुदृढ़ किया जाएगा। जल संरक्षण को ध्यान में रखते हुए 2 प्रतिशत भूमि नाले और जल रिजर्वायर के लिए और 0.5 प्रतिशत भूमि मनोरंजन उपयोग के लिए निर्धारित की गई है।
सरकार के प्रस्ताव के अनुसार, इस पूरे प्रोजेक्ट पर 1,680 करोड़ रुपए की लागत आने का अनुमान है। यह पार्क कुल 100 एकड़ क्षेत्र में बनाया जाएगा, जिसमें एक लाख से अधिक रोजगार सृजन और 10 हजार करोड़ रुपए के निवेश की संभावना है। पार्क में पर्यावरण के अनुकूल निर्माण सामग्री, ऊर्जा-संवेदनशील डिजाइन, वर्षा जल संचयन, सौर ऊर्जा और ई-वेस्ट प्रबंधन जैसे प्रावधान भी शामिल किए जाएंगे। इस पहल के माध्यम से उत्तर प्रदेश न केवल 'भारत का ग्रोथ इंजन' बनेगा, बल्कि 'ग्रीन स्टेट मॉडल' के रूप में भी विकसित होगा।