क्या भाजपा हमें बताएगी कब क्या खाना है? सीपीआई (एम) सांसद अमरा राम का तंज

सारांश
Key Takeaways
- भाजपा के मांस पर प्रतिबंध पर कड़ी आलोचना
- व्यक्तिगत स्वतंत्रता का महत्व
- जीएसटी पर सरकार की नीतियों का सवाल
- धर्म की राजनीति के खिलाफ आवाज उठाना
- राजनीतिक वादे और वास्तविकता के बीच का अंतर
नई दिल्ली, 22 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। नवरात्रि के अवसर पर देश के कई राज्यों में मांस की दुकानों पर प्रतिबंध और भाजपा नेताओं द्वारा किए जा रहे बयानों की कड़ी आलोचना करते हुए सीपीआई (एम) सांसद अमरा राम ने कहा कि भाजपा हमें यह नहीं बताएगी कि कब क्या खाना है।
राष्ट्र प्रेस से बातचीत में सीपीआई (एम) सांसद ने कहा कि भारत में मांस का सेवन बड़े पैमाने पर किया जाता है, और 50 प्रतिशत से अधिक आबादी इसका सेवन करती है। किसी को क्या खाना है या क्या पहनना है, यह उसकी व्यक्तिगत पसंद है। भारतीय संविधान प्रत्येक नागरिक को अपने निर्णय लेने की स्वतंत्रता प्रदान करता है। कौन किस धर्म का पालन करेगा या कौन सी प्रथाएँ अपनाएगा - यह पूरी तरह से उस व्यक्ति पर निर्भर है।
भाजपा नेताओं पर निशाना साधते हुए, सीपीआई (एम) सांसद ने कहा कि अब भाजपा यह तय करेगी कि किसे कब क्या खाना है। उन्होंने कहा कि भाजपा बांटने की राजनीति कर रही है, जो देश के लिए लाभकारी नहीं है।
उन्होंने जीएसटी रिफॉर्म पर कहा कि 8 वर्षों तक सरकार ने आम जनता को परेशान किया। अब, थोड़ी छूट देकर सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है। दिल्ली में गरीबों के घरों को उजाड़ा जा रहा है और महंगाई चरम पर है।
पाकिस्तानी क्रिकेटर साहिबजादा फरहान के 'एके-47' इशारे पर उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में सिरफिरे लोग हैं। असल में खेल को खेल भावना से खेलना चाहिए, तकरार की आवश्यकता नहीं है।
पीएम मोदी के अरुणाचल प्रदेश दौरे पर उन्होंने कहा कि जब मणिपुर दो वर्षों तक जलता रहा, तब केंद्र सरकार का ध्यान नहीं गया। भाजपा केवल धर्म की राजनीति करती है, जिससे वे लोगों का दिल नहीं जीत सकते।
उन्होंने कहा कि बिहार में एसआईआर के नाम पर लाखों लोगों के वोट वोटर लिस्ट से काट दिए गए हैं। पहले चुनाव के समय चुनाव आयोग वोट जोड़ता था, लेकिन अब वोट काटे जा रहे हैं।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बयान पर उन्होंने कहा कि पीओके लेने का मौका हाल ही में मिला था, तब क्यों नहीं लिया? वे केवल लोगों को गुमराह कर रहे हैं।