क्या आंध्र प्रदेश में कमजोर हुआ चक्रवाती तूफान 'मोंथा'?
सारांश
Key Takeaways
- चक्रवाती तूफान 'मोंथा' अब कमजोर हो चुका है।
- तूफान ने पिछले छह घंटों में १५ किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ा है।
- आईएमडी ने तटीय क्षेत्रों में सतर्कता बरतने की सलाह दी है।
- जलवायु परिवर्तन के कारण चक्रवाती गतिविधियों की तीव्रता बढ़ रही है।
- विशेषज्ञों के अनुसार, अवदाबों से तटीय क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा है।
नई दिल्ली, २९ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। तटीय आंध्र प्रदेश पर स्थित चक्रवाती तूफान 'मोंथा' अब एक गहरे अवदाब में परिवर्तित हो चुका है। इस तूफान ने पिछले छह घंटों में १५ किलोमीटर प्रति घंटे की गति से उत्तर-उत्तर-पश्चिम दिशा में आगे बढ़ते हुए अपनी तीव्रता को कम कर दिया है।
बुधवार को भारतीय मौसम विभाग ने जानकारी दी कि यह तूफान भद्राचलम (तेलंगाना) से लगभग ५० किलोमीटर दक्षिण-दक्षिणपूर्व, खम्मम (तेलंगाना) से ११० किलोमीटर पूर्व, मलकानगिरी (ओडिशा) से १३० किलोमीटर दक्षिण-दक्षिणपश्चिम और जगदलपुर (छत्तीसगढ़) से २२० किलोमीटर दक्षिण-दक्षिणपश्चिम में स्थित है।
आईएमडी के अनुसार, अगले छह घंटों में यह अवदाब आंध्र प्रदेश, सटे तेलंगाना और दक्षिणी छत्तीसगढ़ से होकर उत्तर-उत्तर-पश्चिम दिशा में बढ़ेगा और एक सामान्य अवदाब में बदल जाएगा। इससे जुड़ी बौछारें और तेज हवाएं आने की संभावना है, लेकिन तूफान की तीव्रता अब काफी कम हो गई है। विभाग ने तटीय क्षेत्रों में सतर्कता बरतने की सलाह दी है, हालांकि कोई बड़ा खतरा नहीं है।
दूसरी ओर, पूर्व-मध्य अरब सागर पर बना अवदाब पिछले तीन घंटों से लगभग स्थिर है। सुबह ८:३० बजे यह अक्षांश १७.९ डिग्री उत्तर और देशांतर ६९.२ डिग्री पूर्व के पास केंद्रित रहा। यह मुंबई से ४१० किलोमीटर पश्चिम-दक्षिण-पश्चिम, वेरावल (गुजरात) से ४३० किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम, पणजी (गोवा) से ५६० किलोमीटर पश्चिम-उत्तर-पश्चिम, मैंगलोर (कर्नाटक) से ८२० किलोमीटर उत्तर-पश्चिम तथा अमिनिदिवी (लक्षद्वीप) से ८५० किलोमीटर उत्तर-उत्तर-पश्चिम में है। अगले ३६ घंटों में यह अवदाब पूर्व-मध्य अरब सागर में उत्तर-पूर्व दिशा की ओर बढ़ सकता है। इससे पश्चिमी तट पर हल्की बारिश या तेज हवाओं की आशंका है, लेकिन फिलहाल कोई चेतावनी जारी नहीं की गई है।
ये अपडेट आईएमडी ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर साझा किए हैं। विभाग ने लोगों से मौसम की लगातार निगरानी करने और आधिकारिक स्रोतों पर भरोसा करने की अपील की है। चक्रवाती गतिविधियां मानसून के बाद के मौसम में आम हैं, लेकिन जलवायु परिवर्तन के कारण इनकी तीव्रता बढ़ रही है।
विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे अवदाबों से तटीय क्षेत्रों में बाढ़ या मछली पकड़ने पर असर पड़ सकता है। आईएमडी की टीम सैटेलाइट डेटा के आधार पर निरंतर नजर रख रही है और अगले अपडेट जल्द जारी करेगी।