क्या चमत्कारी पत्थर बताएगा आपकी मन्नत पूरी होगी या नहीं? जानें अद्भुत श्री गुड्डदा रंगनाथस्वामी मंदिर के बारे में

सारांश
Key Takeaways
- श्री गुड्डदा रंगनाथस्वामी मंदिर की अद्भुत स्थापत्य कला दक्षिण भारतीय संस्कृति का प्रतीक है।
- दिव्य पत्थर भक्तों की इच्छाओं की भविष्यवाणी करता है।
- संत रामानुजाचार्य का इस मंदिर से गहरा संबंध है।
- मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में हुआ था।
- मंदिर पहाड़ी की चोटी पर स्थित है, जिससे इसका नाम गुड्डदा पड़ा।
नई दिल्ली, 11 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। दक्षिण भारत में भगवान विष्णु की पूजा उनके विभिन्न रूपों में की जाती है और प्रत्येक मंदिर की अपनी विशेष मान्यता होती है। कहीं पर भगवान विष्णु को एक ईंट पर खड़े देखा जाता है, तो कहीं दिव्य पत्थर की पूजा की जाती है।
कर्नाटक के अमरागिरि के निकट स्थित श्री गुड्डदा रंगनाथस्वामी मंदिर भी अपने अद्भुत पत्थर के लिए प्रसिद्ध है। ऐसा माना जाता है कि इस दिव्य पत्थर के माध्यम से भक्तों की इच्छाओं की पूर्ति का संकेत मिलता है।
यह मंदिर कर्नाटक के हसन जिले के चन्नरायपेटा गांव के चिक्कोनहल्ली में स्थित है और इसके निर्माण की तिथि 12वीं शताब्दी मानी जाती है। मंदिर की स्थापत्य कला दक्षिण भारतीय संस्कृति का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करती है।
इस मंदिर का श्रेय महान संत एवं धर्मगुरु श्री रामानुजाचार्य को दिया जाता है। कहा जाता है कि जब वे मेलुकोटे आए थे, तब उन्होंने चिक्कोनहल्ली को विश्राम के लिए चुना और वहीं भगवान विष्णु की उपस्थिति का अनुभव किया। उन्होंने स्थानीय लोगों को इसके बारे में बताया और मंदिर निर्माण का निर्देश दिया। भक्तों ने उनकी बात मानकर भगवान विष्णु की स्थापना की और नियमित पूजा करने लगे।
मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा अद्भुत है, जो भगवान राम के धनुष अवतार से मिलती है। बाद में, यह मंदिर मुगल काल में रंगनाथस्वामी को समर्पित कर दिया गया, जिससे इसे आक्रमणकारियों से बचाने का निर्णय लिया गया।
इस मंदिर का निर्माण पहाड़ी की चोटी पर हुआ है, जिसके कारण इसे श्री गुड्डदा रंगनाथस्वामी मंदिर कहा जाता है। कर्नाटक में गुड्डदा का अर्थ पहाड़ होता है।
मंदिर में एक अति रहस्यमय पत्थर भी है, जिसे चमत्कारी माना जाता है। भक्तों का मानना है कि जो भी इस पत्थर पर बैठकर मन्नत मांगता है, पत्थर स्वंय बताता है कि मन्नत पूरी होगी या नहीं। यह पत्थर इतनी तेजी से घूमता है कि जिस व्यक्ति ने उस पर बैठा है, वह भी अपनी जगह से हिल जाता है। यदि पत्थर बाईं ओर घूमता है, तो मन्नत पूरी होने की संभावना होती है, जबकि दाईं ओर घूमने पर मन्नत पूरी नहीं होती।