क्या चुनाव आयोग राहुल गांधी और विपक्ष की आवाज़ को दबाने का प्रयास कर रहा है? : माजीद मेमन

Click to start listening
क्या चुनाव आयोग राहुल गांधी और विपक्ष की आवाज़ को दबाने का प्रयास कर रहा है? : माजीद मेमन

सारांश

क्या चुनाव आयोग वास्तव में राहुल गांधी और विपक्ष की आवाज़ को दबाने की कोशिश कर रहा है? माजीद मेमन की आलोचनाएँ और भाजपा की रणनीतियाँ इस मुद्दे को और भी महत्वपूर्ण बनाती हैं। जानिए उनके विचार और देश के लोकतंत्र पर इसका प्रभाव।

Key Takeaways

  • चुनाव आयोग की स्वतंत्रता और निष्पक्षता जरूरी है।
  • माजीद मेमन ने विपक्ष की आवाज़ को दबाने की आलोचना की।
  • लोकल चुनावों में देरी नहीं होनी चाहिए।
  • अल्पसंख्यकों को निशाना बनाना गलत है।
  • सेंसर बोर्ड की भूमिका महत्वपूर्ण है।

मुंबई, 18 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र के प्रमुख वकील माजीद मेमन ने चुनाव आयोग द्वारा कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को बिना नाम लिए दिए गए अल्टीमेटम की तीखी आलोचना की है। उन्होंने राहुल गांधी का समर्थन किया।

माजीद मेमन ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत के दौरान कहा कि चुनाव आयोग अब राहुल गांधी और विपक्ष की आवाज़ को दबाने का प्रयास कर रहा है। आयोग ने पहले से ही यह तय कर लिया है कि जो पक्ष विरोध में आवाज़ उठाएंगे, उन्हें दबाना है। चुनावों में गड़बड़ी हो रही है, वोटों की चोरी की जा रही है, और चुनाव आयोग इस पर ध्यान नहीं दे रहा है। आयोग का यह कदम संवैधानिक और नैतिक रूप से गलत है।

मेमन ने महाराष्ट्र के राज्यपाल को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने पर भाजपा की आलोचना की। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार को इस बात का डर था कि उपराष्ट्रपति के रूप में कोई ऐसा व्यक्ति न आ जाए जो उनके नियंत्रण से बाहर हो, जैसे कि जगदीप धनखड़। वे ऐसे व्यक्ति की तलाश में थे जो पूरी तरह से उनके विश्वास के अनुरूप हो। राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन का नाम जोड़े जाने का कारण यह है कि वे भाजपा के कट्टर समर्थक हैं, और उनका बैकग्राउंड पूरी तरह से आरएसएस से जुड़ा है। लोकतंत्र और संविधान के अनुसार, उपराष्ट्रपति का पद निष्पक्ष होना चाहिए, किसी भी पार्टी से जुड़ा नहीं होना चाहिए। लेकिन मोदी सरकार का यही उद्देश्य है कि उन्हें एक 'रबर स्टैंप' चाहिए, जो उनकी इच्छाओं के अनुरूप कार्य करे।

उन्होंने बंगाल फाइल्स फिल्म के विवाद पर भी अपनी राय दी। मेमन ने कहा कि हमारे देश में कानून और व्यवस्था संविधान के दायरे में काम करती है। सेंसर बोर्ड के पास फिल्मों को सर्टिफिकेट देने का अधिकार है, और यदि फिल्म को सेंसर बोर्ड ने मंजूरी दी है, तो उसे प्रदर्शित किया जा सकता है। यदि किसी को फिल्म से आपत्ति है, तो उन्हें सेंसर बोर्ड में अपील करनी चाहिए, और यदि समस्या बनी रहती है, तो वे न्यायालय का रुख कर सकते हैं। फिजिकल वायलेंस करना किसी भी हालत में सही नहीं है; यह पूरी तरह से गैरकानूनी है।

मेमन ने महाराष्ट्र के चुनाव आयोग द्वारा लोकल बॉडी चुनाव की तारीख स्थगित करने के प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि लोकल चुनावों में बहुत देर हो चुकी है, और इन्हें अब और स्थगित नहीं किया जा सकता। चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है कि वे समय पर चुनाव करवाएं और कोई बहाना न बनाएं। चुनाव आयोग को चुनाव की तैयारी पूरी करके जल्दी से चुनाव कराना चाहिए।

मेमन ने उत्तराखंड में मदरसे को बंद करने के निर्णय पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि यह एक संवेदनशील मुद्दा है, और इसे बिना चर्चा के हल नहीं किया जा सकता। अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाना और उन्हें शिक्षा से वंचित करना गलत है। यह मुद्दा दो समुदायों के बीच संघर्ष को बढ़ा सकता है, और इससे सामाजिक माहौल बिगड़ सकता है। सरकार को मदरसों की स्थिति पर विचार करना चाहिए, और यदि वहां कोई गड़बड़ी हो, तो उसे सुधारने की कोशिश करनी चाहिए।

Point of View

मैं कह सकता हूँ कि लोकतंत्र की नींव विपक्ष की आवाज़ पर टिकी होती है। माजीद मेमन के बयान यह दर्शाते हैं कि हमें इन मुद्दों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। चुनाव आयोग की भूमिका स्पष्ट होनी चाहिए और इसे निष्पक्षता से कार्य करना चाहिए।
NationPress
28/11/2025

Frequently Asked Questions

क्या चुनाव आयोग की कार्रवाई संविधान के अनुरूप है?
चुनाव आयोग को निष्पक्ष और स्वतंत्र रूप से कार्य करना चाहिए। यदि इसकी कार्रवाई में पक्षपात है, तो यह संविधान के खिलाफ है।
क्या माजीद मेमन का कहना सही है?
उनका कहना यह दर्शाता है कि विपक्ष की आवाज़ को दबाने का प्रयास हो रहा है, जो कि लोकतंत्र के लिए चिंताजनक है।
बंगाल फाइल्स फिल्म का विवाद क्यों है?
फिल्म पर सेंसर बोर्ड की मंजूरी है, लेकिन यदि किसी को आपत्ति है, तो उन्हें कानूनी रास्ता अपनाना चाहिए।
क्या चुनाव आयोग को चुनावों में देरी नहीं करनी चाहिए?
चुनाव आयोग का दायित्व है कि वह समय पर चुनाव कराए और किसी भी बहाने से बचें।
मदरसों को बंद करने का निर्णय क्यों विवादास्पद है?
यह एक संवेदनशील मुद्दा है, जो सामाजिक तनाव को बढ़ा सकता है।
Nation Press