क्या चुनाव आयोग केवल भाजपा का मोहरा है: तेजस्वी यादव

सारांश
Key Takeaways
- तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग को भाजपा का मोहरा बताया।
- आठ करोड़ लोगों का पुनरीक्षण 25 दिनों में असंभव है।
- गरीबों के पास आवश्यक कागजात नहीं हैं।
- राजद और कांग्रेस ने इसे साजिश करार दिया।
पटना, 2 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार चुनाव से पूर्व मतदाता पुनरीक्षण के निर्णय पर राजनीति थमने का नाम नहीं ले रही है। विपक्ष इसे सत्ता पक्ष और चुनाव आयोग को घेरते हुए और असंभव ठहराते हुए देख रहा है, जबकि सत्ता पक्ष चुनाव आयोग के निर्णय का समर्थन कर रहा है।
इस बीच, बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने बुधवार को मतदाता पुनरीक्षण के मुद्दे पर फिर से भाजपा को निशाने पर लिया। उन्होंने चुनाव आयोग को मोहरा बताते हुए कहा, "चुनाव आयोग केवल एक मोहरा है, और पीछे से भाजपा के इशारों पर सारा खेल चल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस बात से डर गए हैं कि वे बिहार का चुनाव हार रहे हैं, इसलिए वे मतदाता सूची को फिर से तैयार कर रहे हैं।"
उन्होंने कहा कि आठ करोड़ लोगों का 25 दिनों में पुनरीक्षण करना असंभव है, खासकर बाढ़ और बारिश के दौरान। उन्होंने यह भी कहा कि सत्यापन के लिए मांगे जा रहे कागजात या प्रमाण पत्र गरीबों के पास नहीं हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि चार करोड़ से अधिक लोग बिहार से बाहर पलायन करते हैं, उनका क्या होगा?
राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि हम लगातार चुनाव आयोग से मिलने का समय मांग रहे हैं, लेकिन चुनाव आयोग समय नहीं दे रहा है। यह अन्याय है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की जननी बिहार में लोकतंत्र को समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन ऐसा बिहार और बिहारी कभी नहीं होने देंगे। इनको करारा जवाब दिया जाएगा।
उन्होंने आगे कहा कि चुनाव आयोग को हमारे सवालों का जवाब देना चाहिए। इससे पहले भी राजद और कांग्रेस के नेताओं ने मतदाता पुनरीक्षण को साजिश करार दिया था। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने कहा था कि केंद्र सरकार भी तब वैध नहीं है, क्योंकि इसी वोटर लिस्ट पर 2024 के लोकसभा चुनाव हुए थे। आज उन मतदाताओं के पुनरीक्षण के नाम पर उनके अधिकारों को छीना जा रहा है, यह कौन सी नीति है? केंद्र के इशारे पर सभी एजेंसियां उनके अनुसार काम कर रही हैं। सरनेम देखकर मतदाताओं के नाम हटाने का कार्य किया जाएगा, क्योंकि केंद्र और नीतीश सरकार की मंशा ठीक नहीं है।