क्या कांग्रेस की नीति फूट डालो शासन करो है? : धर्मेंद्र सिंह लोधी

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क्या कांग्रेस की नीति फूट डालो शासन करो है? : धर्मेंद्र सिंह लोधी

सारांश

मध्य प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष द्वारा दिए गए विवादित बयान पर भाजपा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। मंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी ने इसे कांग्रेस की 'फूट डालो, शासन करो' नीति से जोड़ा है। इस विषय पर गहन चर्चा में जानें क्या है सही पक्ष।

Key Takeaways

  • कांग्रेस का विभाजनकारी दृष्टिकोण
  • आदिवासी समाज की धार्मिक पहचान
  • राजनीतिक बयानों का सामाजिक प्रभाव
  • धर्मेंद्र सिंह लोधी की चेतावनी
  • भाजपा का सामाजिक समरसता का दृष्टिकोण

दमोह, 5 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के "आदिवासी हिंदू नहीं" वाले बयान की भाजपा लगातार निंदा कर रही है। राज्य के संस्कृति एवं पर्यटन राज्यमंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी ने इसे कांग्रेस की "फूट डालो, शासन करो" नीति का हिस्सा बताया है। मंत्री लोधी ने सिंघार द्वारा दिए गए विवादित बयान "आदिवासी हिंदू नहीं" की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि कांग्रेस की मानसिकता स्पष्ट रूप से इस फूट डालो शासन करो नीति को दर्शाती है।

उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस पहले भी समाज में फूट डालने का कार्य करती रही है, जो आज भी जारी है। नेता प्रतिपक्ष के इस बयान से कांग्रेस की मानसिकता भी सामने आई है। कांग्रेस ने समाज को तोड़ने का ही कार्य किया है। दमोह जिले में जबेरा विधानसभा क्षेत्र है, जहां रानी दुर्गावती के शासन काल में कई मंदिर बने।

मंत्री लोधी ने कहा कि जबेरा विधानसभा क्षेत्र के सिंगौरगढ़ में रानी दुर्गावती के शासनकाल के मंदिर बने हैं, जहां रानी मां दुर्गा की पूजा अर्चना करती थी। शंकरशाह और रघुनाथ शाह वो उदाहरण हैं जिन्हें तोप से इसलिए उड़ाया गया, क्योंकि उनके लिखे गीतों में शौर्य, पराक्रम और वीर रस छिपा हुआ होता था। कांग्रेस की सोच समाज का विभाजन करने की रही है और अब भी है।

कुछ दिनों पहले छिंदवाड़ा में आयोजित एक कार्यक्रम में नेता प्रतिपक्ष सिंघार ने कहा था कि आदिवासी हिंदू नहीं हैं। इसके बाद से भाजपा की ओर से लगातार तीखी प्रतिक्रिया दी जा रही है। केंद्रीय मंत्री दुर्गादास उइके ने नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के बयान की निंदा करते हुए कहा था कि उनका बयान तथ्यों और प्रमाणों से रहित तथा अज्ञानता पर आधारित है। वास्तव में जनजातीय समाज हिंदू धर्म में रचा-बसा है। जनजातीय समाज के लोग भगवान महादेव के वंशज, पूजक और आराधक रहे हैं। अधिकांश गोंड राजाओं के किलों में मां काली और भगवान महादेव के मंदिर आज भी मिलते हैं। भगवान राम ने जनजातीय समाज की माता शबरी के झूठे बेर खाकर उन्हें सम्मानित किया था, तो महाभारत काल में कुंती पुत्र भीम ने जनजातीय समाज की बहन हिडिंबा से विवाह किया।

उन्होंने आगे कहा कि इसी तरह भारतीय जनता पार्टी अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री व सांसद गजेंद्र पटेल का कहना है कि भारत के संविधान में आदिवासी समाज को हिंदू समाज का अभिन्न अंग माना गया है। आदिवासी समाज पेड़, नदी, जल, पहाड़ों को पूजने के साथ-साथ हिंदू समाज के सभी त्योहारों दशहरा, दीपावली, होली, रक्षाबंधन आदि को मनाता है। आदिवासी समाज हिंदू समाज का अभिन्न अंग है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार भ्रम फैलाने के साथ आदिवासी समाज को बरगलाने का कार्य कर रहे हैं, लेकिन आदिवासी समाज कांग्रेस को अच्छी तरह से जानता है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि राजनीतिक बयानों का समाज पर गहरा असर होता है। नेताओं को अपने शब्दों के प्रति संवेदनशील रहना चाहिए, खासकर जब वे ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर बोलते हैं। राष्ट्रीय एकता और सामंजस्य बनाए रखना हर नागरिक की जिम्मेदारी है।
NationPress
05/09/2025

Frequently Asked Questions

उमंग सिंघार ने क्या कहा था?
उमंग सिंघार ने कहा था कि आदिवासी हिंदू नहीं हैं, जिससे विवाद उत्पन्न हुआ।
धर्मेंद्र सिंह लोधी का इस पर क्या प्रतिक्रिया थी?
धर्मेंद्र सिंह लोधी ने इसे कांग्रेस की 'फूट डालो, शासन करो' नीति का हिस्सा बताया।
क्या आदिवासी समाज हिंदू धर्म का हिस्सा है?
हां, आदिवासी समाज को हिंदू धर्म का अभिन्न अंग माना जाता है।