क्या देश की न्याय व्यवस्था की नए सिरे से समीक्षा होनी चाहिए? : प्रवीण खंडेलवाल

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क्या देश की न्याय व्यवस्था की नए सिरे से समीक्षा होनी चाहिए? : प्रवीण खंडेलवाल

सारांश

क्या देश की न्याय व्यवस्था की नए सिरे से समीक्षा होनी चाहिए? जानिए भाजपा सांसद प्रवीण खंडेलवाल का क्या कहना है और मुख्य न्यायाधीश का बयान किस दिशा में इशारा करता है।

Key Takeaways

  • न्याय व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता है।
  • ज्यादातर मामले लंबित हैं।
  • न्याय महंगा और देरी से मिलता है।
  • समीक्षा के दौरान कई बिंदुओं पर विचार करना आवश्यक है।
  • न्याय प्रशासन को दुरुस्त करने की जरूरत है।

नई दिल्ली, १२ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। चीफ जस्टिस बीआर गवई ने देश की न्यायिक व्यवस्था के संदर्भ में यह स्पष्ट किया है कि भारत में सुधार की अत्यावश्यकता है।

सीजेआई के इस महत्वपूर्ण बयान पर राजनीतिक दलों और कानून के विशेषज्ञों ने अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं। भाजपा सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि जब देश के मुख्य न्यायाधीश ऐसा बयान देते हैं, तो यह अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।

शनिवार को राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए खंडेलवाल ने कहा कि देश की सम्पूर्ण न्याय व्यवस्था की नए सिरे से समीक्षा की जानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि हम सभी जानते हैं कि आज न्याय महंगा है और इसमें देरी भी होती है। कई ऐसे मामले हैं जहां न्याय की उम्मीद करने वाला व्यक्ति, न्याय पाने से पहले ही अपनी जान गंवा देता है। इसलिए मुख्य न्यायाधीश का बयान बहुत महत्वपूर्ण है और मेरी राय है कि देश की सम्पूर्ण न्याय व्यवस्था की नए सिरे से समीक्षा होनी चाहिए। कोर्ट में लाखों मामले लंबित हैं। उनके शीघ्र निपटान के लिए और भविष्य में न्याय व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए।

भाजपा सांसद ने तर्क दिया कि वर्तमान में न्याय पाना सभी के लिए संभव नहीं है, क्योंकि यह अत्यधिक महंगा है। कोर्ट में लाखों मामले लंबित हैं। हमें ऐसी न्याय व्यवस्था की आवश्यकता है जहां लोग जल्दी से जल्दी न्याय प्राप्त कर सकें। इस संदर्भ में समीक्षा की सख्त आवश्यकता है।

चीफ जस्टिस बीआर गवई ने हैदराबाद में आयोजित दीक्षांत समारोह में कानून व्यवस्था की मौजूदा स्थिति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमारी कानूनी प्रणाली में सुधार की सख्त आवश्यकता है। उन्होंने आगे कहा कि देश की न्याय व्यवस्था में मुकदमों में देरी एक बड़ी समस्या है, क्योंकि निर्दोष व्यक्तियों को अदालती मुकदमों के इंतज़ार में वर्षों या कभी-कभी दशकों का समय लग जाता है।

Point of View

यह आवश्यक है कि हम न्याय व्यवस्था के सुधार के लिए ठोस कदम उठाएं। न्यायिक प्रक्रियाओं में देरी और महंगाई से आम जनता प्रभावित हो रही है। हम सभी को मिलकर इसके समाधान की दिशा में आगे बढ़ना होगा।
NationPress
20/07/2025

Frequently Asked Questions

क्यों न्याय व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता है?
न्याय व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता है क्योंकि वर्तमान में न्याय महंगा और देरी से मिलता है।
मुख्य न्यायाधीश का बयान क्या दर्शाता है?
मुख्य न्यायाधीश का बयान न्याय प्रणाली में सुधार की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
भाजपा सांसद प्रवीण खंडेलवाल का क्या कहना है?
प्रवीण खंडेलवाल का कहना है कि देश की न्याय व्यवस्था की नए सिरे से समीक्षा होनी चाहिए।