क्या गोबिंदपुर विधानसभा में राजद की पूर्णिमा यादव विरासत को बचा पाएंगी?
सारांश
Key Takeaways
- गोबिंदपुर विधानसभा बिहार के नवादा जिले में स्थित है।
- यहां 9 ग्राम पंचायतें और 73 गांव हैं।
- ककोलत वाटरफॉल
- राजनीतिक विरासत को बचाने की चुनौती पूर्णिमा यादव के सामने है।
- इस बार चुनाव में महिलाओं की भागीदारी महत्वपूर्ण है।
पटना, 30 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। गोबिंदपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, बिहार के नवादा जिले में स्थित है। यह नवादा (लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र) के अंतर्गत आता है। गोबिंदपुर विधानसभा में कुल 9 ग्राम पंचायतें और 73 गांव हैं।
गोबिंदपुर विधानसभा क्षेत्र की पहचान ककोलत वाटरफॉल है, जो इस क्षेत्र की खूबसूरती को दर्शाता है। यह लोकप्रिय दृश्यों के कारण पर्यटकों को आकर्षित करता है। यह भारत के सबसे बेहतरीन झरनों में से एक है और इसका पानी सालभर ठंडा रहता है। इस झरने की ऊंचाई लगभग 150 से 160 फीट है।
सिर्फ यही नहीं, इसका पौराणिक इतिहास भी है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक प्राचीन राजा को ऋषि के अभिशाप ने अजगर में बदल दिया था, जो झरने के भीतर रहता था। इसके अलावा, यह भी कहा जाता है कि कृष्णा अपनी रानियों के साथ स्नान करने के लिए यहां आया करते थे। यहां मौर्य और गुप्तकालीन प्रभाव के प्रमाण भी मिलते हैं।
गोबिंदपुर क्षेत्र से सकरी नदी गुजरती है और बारिश के मौसम में अक्सर बाढ़ आती है, जिससे क्षेत्र के कुछ गांव एक-दूसरे से कट जाते हैं। हालाँकि, इस क्षेत्र से एसएच-103 होकर गुजरता है, जो इसे राज्य और जिले के बाकी हिस्सों से जोड़ता है।
राजनीतिक तौर पर यहां युगल किशोर यादव के परिवार का दबदबा रहा है। इस बार विधानसभा चुनाव में युगल किशोर यादव की विरासत को बचाने की चुनौती उनकी बहू पूर्णिमा यादव के सामने है।
गोबिंदपुर में 9 प्रत्याशी इस बार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। राजद के टिकट पर पूर्णिमा यादव चुनावी मैदान में हैं, जिन्हें लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की प्रत्याशी विनीता मेहता टक्कर दे रही हैं। पूनम कुमारी ने जन सुराज पार्टी के टिकट पर चुनावी मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है। यह भी महत्वपूर्ण है कि गोबिंदपुर में सभी प्रमुख दलों ने महिलाओं को उम्मीदवार बनाया है।
अगर गोबिंदपुर विधानसभा के राजनीतिक इतिहास की बात करें तो इसे 1967 में एक अलग विधानसभा क्षेत्र के रूप में पहचान मिली थी। इस क्षेत्र में अब तक 15 बार चुनाव हो चुके हैं, जिसमें 1970 का एक उपचुनाव भी शामिल है। कांग्रेस ने यहां से 6 बार जीत हासिल की। तीन बार निर्दलीय उम्मीदवारों को विजय प्राप्त हुई। वहीं, राजद को 2 बार और लोकतांत्रिक कांग्रेस, जनता पार्टी, जनता दल व जदयू को 1-1 बार जीत मिली।
गोबिंदपुर की जनता ने यहां पार्टियों से ज्यादा नेताओं को तवज्जो दी है। युगल किशोर यादव 1969 में लोकतांत्रिक कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते थे, जबकि 1970 में उनकी पत्नी गायत्री देवी यादव को निर्दलीय जीत मिली। इसके बाद वे 1980, 1985, 1990 (कांग्रेस) और 2000 में चार बार विधायक बनीं। हालाँकि, इस दौरान उनके दल बदलने का सिलसिला नहीं रुका। उन्होंने तीन बार कांग्रेस और एक बार राजद के टिकट पर विजय प्राप्त की।
गायत्री देवी यादव के बाद परिवार की राजनीतिक विरासत को उनके बेटे कौशल यादव ने संभाला, जो यहां से लगातार तीन बार विधायक बने। गायत्री के बाद सिर्फ कौशल यादव ही ऐसे नेता थे, जिन्हें गोबिंदपुर में लगातार तीन बार जीत मिली। हालाँकि, उन्होंने अपनी लड़ाई दो बार निर्दलीय बनकर और एक बार जदयू के प्रत्याशी के रूप में जीती।
इसके बाद कौशल यादव की पत्नी पूर्णिमा यादव को परिवार की विरासत को आगे बढ़ाने का मौका मिला और 2015 के चुनाव में विजयी हुईं। यह जीत उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में मिली थी। 2020 में राजद के खाते में यह सीट आई और मोहम्मद कामरान विजयी हुए। हालाँकि, राजद ने इस बार पूर्णिमा देवी को टिकट दिया है।