क्या हमारा हिंदी भाषा या किसी समुदाय से विवाद है? : आदित्य ठाकरे

सारांश
Key Takeaways
- आदित्य ठाकरे ने भाजपा पर हमला किया।
- महाराष्ट्र में भाषा विवाद का मुद्दा उठाया गया।
- सामाजिक मुद्दों पर राजनीतिक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।
- महा विकास अघाड़ी एक मजबूत गठबंधन के रूप में उभर रही है।
मुंबई, 7 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र में मराठी बनाम हिंदी भाषा विवाद को लेकर सियासत तेज हो गई है। इस पर शिवसेना (यूबीटी) के नेता और विधायक आदित्य ठाकरे ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर तीखा हमला किया है।
आदित्य ठाकरे ने महा विकास अघाड़ी (एमवीए) की रणनीति पर कहा कि महाराष्ट्र में कई दल और समूह हमारे साथ जुड़ने के लिए तैयार हैं। महा विकास अघाड़ी एक मजबूत गठबंधन के रूप में उभर रही है। इंडिया गठबंधन के साथ-साथ महाराष्ट्र के स्थानीय मुद्दों पर भी चर्चा चल रही है। चाहे उद्योगपतियों की भूमिका हो या महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) जैसे दलों का रुख, सभी पर चर्चा हो रही है। ठाकरे ब्रदर्स के एक साथ आने से जनता में जोश और उत्साह है।
उन्होंने भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के भाषा संबंधी बयान पर कहा कि वह न तो महाराष्ट्र के प्रतिनिधि हैं, न ही हिंदी भाषा के। वह केवल भाजपा की विचारधारा के प्रवक्ता हैं, जिसमें नफरत, विभाजन और नकारात्मकता भरी हुई है। महाराष्ट्र विविधताओं का प्रदेश है, यहां उत्तर से लेकर दक्षिण भारत के लोग निवास करते हैं और सभी मिलकर काम करते हैं। हमारा हिंदी भाषा या किसी समुदाय से कोई झगड़ा नहीं है, हमारा विरोध सिर्फ उस सत्ता से है, जो मराठी अस्मिता को ठेस पहुंचाती है।
आदित्य ठाकरे ने कहा कि निशिकांत दुबे को बिहार चुनाव की जिम्मेदारी दी गई है और उन्हें तेजस्वी यादव की संभावित जीत का डर सता रहा है। यही कारण है कि वे महाराष्ट्र में भाषा विवाद खड़ा कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कोविड के दौरान उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे और उन्होंने सभी का साथ दिया। आज वही लोग मराठी भाषा पर सवाल उठा रहे हैं। जब भाजपा हार की ओर बढ़ती है, तब यह पार्टी समाज को भाषा, जाति और धर्म के नाम पर बांटने लगती है। महाराष्ट्र में आनंद दुबे जैसे लोग मराठी की सेवा कर रहे हैं और सभी को उनसे सीख लेनी चाहिए। मैं अपने सभी कार्यकर्ताओं से कहूंगा कि ऐसे बयानों का जवाब भावनाओं से नहीं, बल्कि राजनीतिक तरीके से दें। सामाजिक मुद्दों को राजनीतिक बहाना बनाना उचित नहीं है।