क्या हर परिवार में कम से कम तीन बच्चे होने चाहिए? : चंद्रबाबू नायडू
सारांश
Key Takeaways
- हर परिवार में तीन बच्चों का होना आवश्यक है।
- जनसांख्यिकीय लाभ को बनाए रखना जरूरी है।
- भारत एक युवा जनसंख्या वाला देश है।
- सही जनसंख्या प्रबंधन भारत के भविष्य के लिए अनिवार्य है।
- विदेशों में भारतीयों की आय की स्थिति अच्छी है।
तिरुपति, 26 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। आंध्र प्रदेश के तिरुपति में आयोजित भारतीय विज्ञान सम्मेलन में मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने भारत की जनसांख्यिकीय स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की।
उन्होंने कहा कि देश के जनसांख्यिकीय लाभ को बनाए रखने के लिए हर परिवार में कम से कम तीन बच्चे होना आवश्यक है। उन्होंने वैश्विक स्तर पर विकसित देशों में जनसंख्या में कमी और बुजुर्गों की बढ़ती संख्या की समस्या का उल्लेख किया।
मुख्यमंत्री ने बताया कि अधिकांश देशों में जनसंख्या या तो स्थिर है या घट रही है। चीन, जापान, जर्मनी और ब्रिटेन जैसे देशों में जनसांख्यिकीय संकट बढ़ता जा रहा है, जहां कामकाजी आबादी में कमी हो रही है और बुजुर्गों का बोझ बढ़ रहा है। इसके विपरीत, भारत अभी भी एक युवा आबादी वाला देश है, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत धीरे-धीरे प्रतिस्थापन स्तर को पार कर रहा है, इसलिए जनसंख्या पर ध्यान केंद्रित करना अत्यंत आवश्यक है।
मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत के विचारों का समर्थन करते हुए कहा कि उन्होंने सही कहा है कि हर दंपति को तीन बच्चे होने चाहिए। यह भारत की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। नायडू के अनुसार, यदि हम 2047 तक और उसके बाद भी जनसंख्या का सही प्रबंधन करेंगे, तो भारत वैश्विक स्तर पर अजेय बन सकता है, और कोई देश हम पर हावी नहीं हो पाएगा।
उन्होंने भारतीय प्रवासियों की सफलता का उदाहरण देते हुए बताया कि विदेशों में रहने वाले लगभग चार से पांच करोड़ भारतीय सबसे ज्यादा कमाई करने वाले समुदायों में शामिल हैं। अमेरिका में भारतीयों की औसत आय वहां के राष्ट्रीय औसत से काफी अधिक है, जो भारत के मानव संसाधन की ताकत को दर्शाता है।
नायडू ने कहा कि हम बहुत भाग्यशाली हैं क्योंकि भारत ऐसा देश है जहां युवा आबादी का लाभ लंबे समय तक बना रहेगा।