क्या हेमंत कुमार की आवाज ने देव आनंद को 'रोमांस किंग' बना दिया?

Click to start listening
क्या हेमंत कुमार की आवाज ने देव आनंद को 'रोमांस किंग' बना दिया?

सारांश

हेमंत कुमार की गहरी और भावुक आवाज ने देव आनंद की छवि को और भी आकर्षक बनाया। इस लेख में जानें कैसे इन गानों ने हिंदी सिनेमा के रोमांस को नया आयाम दिया।

Key Takeaways

  • हेमंत कुमार ने अपनी आवाज से हिंदी सिनेमा को अमर धुनें दीं।
  • उन्होंने देव आनंद की छवि को और निखारा।
  • उनकी गहरी और भावुक गायिकी ने दिलों को छुआ।
  • बंगाली संगीत और बॉलीवुड का अनूठा मिश्रण।
  • उनकी आवाज ने भारतीय संगीत को नई पहचान दी।

नई दिल्ली, २५ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। ‘है अपना दिल आवारा' हो या ‘ये रात ये चांदनी फिर कहां', ‘न तुम हमें जानो' या ‘याद किया ये दिल', ये ऐसे गाने हैं, जिन्होंने देव आनंद को ‘रोमांस किंग' का खिताब दिलाया। पर्दे पर देव आनंद का जादू बिखरा, लेकिन इन गानों को अमर बनाने वाली आवाज हेमंत कुमार की थी, जिनकी गायिकी की गहराई और भावनाओं ने हर दिल को छू लिया। भारत रत्न लता मंगेशकर भी उनकी आवाज की प्रशंसा करती थीं।

लता मंगेशकर ने एक इंटरव्यू में कहा था, "हेमंत दा का मानना था कि सिंपल ट्यून होनी चाहिए और बोल भी अच्छे होने चाहिए। जब गाना रिकॉर्ड होता था तो सब कुछ सिंपल ही रहता था। वे बड़े ऑर्केस्ट्रा में विश्वास नहीं करते थे। वे खुद भी अच्छा गाते थे और जब कोई अच्छा गाना गाता है तो जब वह गाना बनाता है तो उसका अलग ही रंग झलकता है।"

हेमंत कुमार का असली नाम हेमंत मुखोपाध्याय था। वे भारतीय संगीत के एक ऐसे स्तंभ थे, जिन्होंने अपनी मधुर आवाज और संगीत निर्देशन की कला से हिंदी सिनेमा को अमर धुनें दीं। १६ जून १९२० को उत्तर प्रदेश के वाराणसी में जन्मे इस बहुमुखी कलाकार ने रवींद्र संगीत से लेकर बॉलीवुड के सदाबहार गीतों तक का सफर तय किया।

वाराणसी के एक बंगाली परिवार से ताल्लुक रखने वाले हेमंत दा ने बंगाल के यादवपुर विश्वविद्यालय में इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू की, लेकिन संगीत के प्रति उनकी दीवानगी ने उन्हें इसे छोड़ने पर मजबूर कर दिया। १९३३ में उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो के लिए अपना पहला गीत रिकॉर्ड किया। १९३७ में कोलंबिया लेबल के लिए गैर-फिल्मी संगीत जारी किया, जिसमें संगीत शैलेश दासगुप्ता ने दिया था।

उनका पहला हिंदी डिस्क ग्रामाफ़ोन कंपनी ऑफ इंडिया के लिए आया, जिसमें गाने जैसे ‘कितना दुख भुलाया तुमने' और ‘ओ प्रीत निभानेवाली' ने खूब लोकप्रियता हासिल की। इसके बाद उन्होंने फिल्मी दुनिया में कदम रखा और हिंदी फिल्मों में उनका पहला गीत फिल्म ‘इरादा' (१९४४) के लिए था, जिसका संगीत पंडित अमरनाथ ने दिया था। वे ‘रवींद्र संगीत' के प्रमुख गायक थे और १९४४ में बंगला फिल्म ‘प्रिया बंगधाबी' के लिए पहली बार रवींद्र संगीत रिकॉर्ड किया। १९४७ में उन्होंने बांग्ला फिल्म ‘अभियात्री' के लिए संगीत निर्देशन भी शुरू किया।

हेमंत दा को सही मायनों में पहचान देव आनंद की फिल्मों से मिली। हेमंत की भावपूर्ण आवाज देव आनंद की रोमांटिक और स्टाइलिश ऑन-स्क्रीन छवि के साथ पूरी तरह मेल खाती थी। उनकी गायकी में जो गहराई और भावुकता थी, वह देव आनंद के किरदारों की कहानी को और प्रभावशाली बनाती थी।

हेमंत और देव आनंद की जोड़ी ने १९५० और १९६० के दशक में हिंदी सिनेमा के म्यूजिकल लैंडस्केप को समृद्ध किया। साल १९५२ की फिल्म ‘जाल' में ‘ये रात ये चांदनी फिर कहां' के गाने को हेमंत दा ने अपनी आवाज दी थी, जिसका जादू लोगों के सिर चढ़कर बोला। इसके अलावा, उन्होंने ‘हाउस नंबर ४४' (१९५५) में ‘तेरे दुनिया में जीने से', ‘सोलहवां साल' (१९५८) के ‘है अपना दिल तो आवारा' गीत गाया, जो उस दौर का सुपरहिट गाना बना।

उनकी आवाज की खासियत थी उसकी कोमलता और भावुकता, जो भक्ति और प्रेम के गीतों में चमकती थी। उन्होंने अपने करियर में कई बेमिसाल गाने गाए। हेमंत दा ने ‘नागिन' (१९५४), ‘अनपढ़' (१९६२), ‘बेबाक' (१९५१) में लता मंगेशकर और आशा भोसले जैसी गायकों के साथ डुएट भी गाए। उनके सोलो गीतों ने हिंदी सिनेमा को एक नया आयाम दिया। उन्होंने ‘बीस साल बाद' (१९६२), ‘जाह्नवी' (१९६५) जैसी फिल्मों का संगीत दिया, जो क्लासिकल और लोक धुनों का मिश्रण थे।

हेमंत कुमार को उनके योगदान के लिए कई सम्मान मिले, जिनमें पद्म भूषण (१९८६) प्रमुख है। हेमंत दा ने २६ सितंबर १९८९ को इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

Point of View

बल्कि हिंदी सिनेमा को भी एक नई पहचान दी। उनकी गायिकी ने भारतीय संगीत में एक अमिट छाप छोड़ी है। यह कहना गलत नहीं होगा कि वे अपने समय के सबसे प्रभावशाली गायक थे।
NationPress
09/11/2025

Frequently Asked Questions

हेमंत कुमार का असली नाम क्या था?
हेमंत कुमार का असली नाम हेमंत मुखोपाध्याय था।
हेमंत कुमार ने किस वर्ष में अपने करियर की शुरुआत की?
हेमंत कुमार ने 1933 में अपने करियर की शुरुआत की।
हेमंत कुमार को कौन सा सम्मान मिला था?
हेमंत कुमार को 1986 में पद्म भूषण सम्मान मिला था।
हेमंत कुमार की कौन सी आवाज विशेष थी?
हेमंत कुमार की आवाज की खासियत उसकी कोमलता और भावुकता थी।
हेमंत कुमार की प्रमुख गाने कौन से थे?
हेमंत कुमार के प्रमुख गाने थे 'है अपना दिल आवारा', 'ये रात ये चांदनी फिर कहां' आदि।