क्या हिंदी को लेकर कोई विवाद है? : प्रियंका चतुर्वेदी

सारांश
Key Takeaways
- हिंदी और हिंदी भाषियों को लेकर कोई विवाद नहीं है।
- बीजेपी की भाषा और प्रांतों को लेकर राजनीति की आलोचना की गई।
- चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं।
- सत्ता के अहंकार का मुद्दा उठाया गया।
- महाराष्ट्र के विधायकों से आवाज उठाने की अपील की गई।
मुंबई, 9 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। शिवसेना (यूबीटी) की नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने महाराष्ट्र में चल रहे भाषा विवाद और बिहार बंद पर बीजेपी पर तीखा आरोप लगाया। उन्होंने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के बयान को निंदनीय कहा और उनकी माफी की मांग की।
चतुर्वेदी ने कहा कि हिंदी या हिंदी भाषियों के प्रति कोई विवाद नहीं है। मुंबई और महाराष्ट्र में हिंदी फिल्म और टेलीविजन उद्योग बड़ी तेजी से विकसित हो रहा है, जहाँ विभिन्न राज्यों से लोग अवसरों का लाभ उठा रहे हैं। कुछ लोग मराठी भाषा का अपमान कर रहे हैं, जो पूरी तरह से गलत है।
उन्होंने भाजपा और उसके सहयोगी दलों की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा कि बीजेपी पहले धर्म और जाति के आधार पर राजनीति करती थी, अब भाषा और प्रांतों को आपस में लड़ाने की कोशिश कर रही है।
चतुर्वेदी ने बीजेपी विधायक संजय गायकवाड़ के एक वायरल वीडियो का उल्लेख किया, जिसमें वे एक कैंटीन कर्मचारी पर कथित तौर पर हाथ उठाते हुए दिख रहे हैं। उन्होंने इसे सत्ता के अहंकार का उदाहरण बताया। इसके अलावा, गायकवाड़ द्वारा राहुल गांधी को दी गई धमकी और एक स्टैंड-अप कॉमेडियन के स्टूडियो में तोड़फोड़ की घटना का भी जिक्र किया।
उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से इस मामले में कार्रवाई की मांग की।
चतुर्वेदी ने पूछा कि क्या बीजेपी ऐसे नेताओं को शाबाशी देगी जो गरीबों पर अत्याचार करते हैं। उन्होंने महाराष्ट्र के विधायकों से इस मुद्दे पर आवाज उठाने की अपील की।
बिहार बंद पर चतुर्वेदी ने इंडिया गठबंधन का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग मनमानी कर रहा है और आधार कार्ड को मतदाता सत्यापन के लिए स्वीकार नहीं कर रहा, जबकि डोमिसाइल सर्टिफिकेट को मान्यता दी जा रही है। अगर आधार कार्ड का उद्देश्य यह है कि इसे न तो पासपोर्ट के लिए और न ही मतदाता सत्यापन के लिए स्वीकार किया जा रहा है। बीजेपी के इशारे पर चुनाव आयोग बिहार में मतदाताओं को सूची से हटा रहा है, ताकि विपक्ष के समर्थकों को कमजोर किया जा सके।