क्या हुमायूं कबीर की नई पार्टी के पीछे साजिश है?
सारांश
Key Takeaways
- नई पार्टी बनाना लोकतांत्रिक अधिकार है।
- भाजपा ने एंटी-भाजपा वोटों को बांटने की कोशिश की है।
- बंगाल के मतदाता तृणमूल को वोट देकर भाजपा को हराने के लिए सजग हैं।
- बांग्लादेश में हो रही हिंसा की निंदा की गई है।
- चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं।
कोलकाता, 22 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के प्रमुख नेता और प्रवक्ता कुणाल घोष ने हुमायूं कबीर द्वारा नई पार्टी के गठन, बांग्लादेश में हो रही हिंसा और चुनाव आयोग की भूमिका पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। कोलकाता में मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है और किसी भी व्यक्ति को नई पार्टी बनाने का अधिकार है, लेकिन इसके पीछे की राजनीति को समझना आवश्यक है।
कुणाल घोष ने आगे कहा कि यदि किसी का इरादा पार्टी बनाने का है, तो उस पर टिप्पणी करने का कोई अर्थ नहीं है, लेकिन उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि भाजपा ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है। पिछली बार भाजपा ने विशेष उड़ान भेजकर तृणमूल के कुछ नेताओं को अपने साथ लाने की कोशिश की थी, लेकिन चुनाव परिणाम आने के बाद वे नेता ममता बनर्जी को फोन करते थे कि अब फ्लाइट नहीं, ऑटो भेज दीजिए, हम लौटना चाहते हैं।
कुणाल घोष ने यह भी दावा किया कि इस बार भाजपा ने बी टीम, सी टीम और D टीम तैयार की है। भाजपा ने कुछ व्यक्तियों को अलग-अलग मुखौटे पहनाकर राजनीतिक क्षेत्र में उतारा है ताकि एंटी-भाजपा वोटों को बांटा जा सके। इसका मुख्य उद्देश्य भाजपा विरोधी मतों को विभाजित कर भाजपा को लाभ पहुंचाना है।
टीएमसी प्रवक्ता ने स्पष्ट रूप से कहा कि बंगाल के मतदाता यह भली-भांति समझते हैं कि भाजपा को हराने का एकमात्र तरीका तृणमूल कांग्रेस को वोट देना है। यदि एक भी वोट इधर-उधर गया, तो इसका सीधा लाभ भाजपा को होगा। कुणाल घोष ने चुनौती दी कि भाजपा चाहे 100 सीटें जीतने का दावा करे, लेकिन वे भाजपा को 20 सीटों से अधिक जीतने नहीं देंगे। मुर्शिदाबाद में भाजपा को शून्य पर लाया जाएगा।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि हुमायूं कबीर कभी भाजपा के उम्मीदवार थे, ऐसे में अब भाजपा के खिलाफ बोलने का नैतिक अधिकार उन पर नहीं बनता।
बांग्लादेश में हो रही हिंसा पर कुणाल घोष ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस ने इन घटनाओं की कड़े शब्दों में निंदा की है और विरोध भी दर्ज कराया है। बांग्लादेश एक अलग देश है, इसलिए यह राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। इस मामले में केंद्र सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए।
उन्होंने चुनाव आयोग पर भी निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा के राजनीतिक एजेंडे को पूरा करने के लिए चुनाव आयोग मनमानी कर रहा है, जिस पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विस्तार से अपनी बात रखी है।