क्या महाराष्ट्र में भाषा विवाद ने एक किशोर की जान ले ली?

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क्या महाराष्ट्र में भाषा विवाद ने एक किशोर की जान ले ली?

सारांश

महाराष्ट्र में एक किशोर की आत्महत्या ने भाषा विवाद को लेकर विचारों को बढ़ावा दिया है। तहसीन पूनावाला ने इस दुखद घटना पर गहरी संवेदना व्यक्त की है। क्या यह मामला समाज में बढ़ती भाषा आधारित नफरत का संकेत है?

Key Takeaways

  • भाषा विवाद के कारण एक किशोर ने आत्महत्या की।
  • तहसीन पूनावाला ने घटना पर गहरी संवेदना व्यक्त की।
  • भाषा के नाम पर नफरत फैलना समाज के लिए खतरनाक है।
  • राज ठाकरे और मनसे पर आरोप लगाए गए।
  • कर्नाटक की राजनीति का भी जिक्र किया गया।

पुणे, 21 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र के कल्याण पूर्व के तिसगांव नाका क्षेत्र में एक 19 वर्षीय छात्र अर्णव खैरे ने भाषा विवाद के कारण आत्महत्या कर ली। आरोप है कि जब वह लोकल ट्रेन में मराठी में बात नहीं कर रहा था, तो कुछ लोगों ने उसे पीट दिया और अपमानित किया। इस घटना के बाद वह घर लौटकर इतना तनाव में आ गया कि आत्महत्या कर ली। इस घटना पर इंटरनेट पर्सनालिटी तहसीन पूनावाला ने गहरी संवेदना प्रकट की।

तहसीन ने कहा कि अर्णव को केवल इसलिए पीटा गया क्योंकि वह हिंदी में बात कर रहा था। उन्होंने पूछा कि एक 19 साल के लड़के ने इस स्थिति में क्या सहा होगा और उसके परिवार पर इस समय क्या बीत रही होगी?

पूनावाला ने महाराष्ट्र में भाषा के माहौल को खतरनाक बताया और राज ठाकरे और मनसे को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया। उनका कहना था कि भाषा के नाम पर नफरत फैलाने से समाज में हिंसा बढ़ती है, जैसा कि अर्णव की मौत के मामले में देखा गया है।

उन्होंने एक पुराने मामले का जिक्र भी किया जिसमें जावेद शेख के बेटे राहिल पर एक मराठी लड़की से छेड़छाड़ का आरोप लगा था, लेकिन उस पर क्या कार्रवाई हुई?

तहसीन ने ठाकरे परिवार पर भी कई राजनीतिक आरोप लगाए, यह कहते हुए कि उनके बेटे महंगी गाड़ियों में घूमते हैं और आम मराठी मानूस की समस्याओं से अंजान हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि ठाकरे परिवार की राजनीति बीएमसी के बजट पर केंद्रित है, जो 70,000 करोड़ रुपए से अधिक है। यही कारण है कि ठाकरे दोनों भाई कभी साथ होते हैं, कभी अलग, क्योंकि असली लड़ाई सत्ता की है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में भाषा के नाम पर हिंसा नहीं होनी चाहिए और समाज को बांटने वाले कदमों पर रोक लगनी चाहिए।

कर्नाटक की राजनीति पर चर्चा करते हुए, तहसीन ने कहा कि डी.के. शिवकुमार कांग्रेस के वफादार नेता हैं और उनके नेतृत्व में पार्टी ने कर्नाटक चुनाव जीते थे।

उन्होंने सुझाव दिया कि मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसी गलतियों से बचने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और डी.के. शिवकुमार दोनों के साथ बातचीत करनी चाहिए।

Point of View

जो कि चिंता का विषय है। हमें ऐसे मामलों पर ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि हम समाज में एकता और आपसी सम्मान को बढ़ावा दे सकें। यह जरूरी है कि हम भेदभाव और हिंसा के खिलाफ एकजुट हों।
NationPress
21/11/2025

Frequently Asked Questions

क्या अर्णव खैरे की आत्महत्या का कारण केवल भाषा विवाद था?
हाँ, अर्णव की आत्महत्या का कारण भाषा विवाद बताया गया है जहां उसे हिंदी बोलने पर पीटा गया।
तहसीन पूनावाला ने इस घटना पर क्या कहा?
तहसीन पूनावाला ने इस घटना पर गहरी संवेदना जताई और इसे समाज में बढ़ती भाषा आधारित नफरत का संकेत माना।
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