क्या नाम बदलने से कुछ होगा, रोजगार देना जरूरी है: भाई वीरेंद्र?
सारांश
Key Takeaways
- रोजगार निर्माण को प्राथमिकता देना आवश्यक है।
- राजनीतिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
- हमें महंगाई और अपराध पर नियंत्रण पाने की आवश्यकता है।
- बुलडोजर कार्रवाई से पहले प्रभावित लोगों के लिए उचित व्यवस्थाएं हों।
- सिर्फ नाम बदलने से कुछ नहीं होगा।
पटना, 3 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) और विभिन्न राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के राजभवनों के नाम बदलने के निर्णय ने देश में राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है। राजद विधायक भाई वीरेंद्र ने स्पष्ट किया कि नाम बदलने से समस्या का समाधान नहीं होगा, रोजगार प्रदान करना आवश्यक है।
बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान, भाई वीरेंद्र ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए कहा, "सिर्फ नाम बदलने से देश की स्थिति में सुधार नहीं होगा। नाम बदलने से देश की छवि नहीं बदलने वाली है। यह बात भाजपा को समझनी चाहिए।"
उन्होंने आगे कहा, "जब तक बेरोजगारी का समाधान नहीं होगा, फैक्ट्रियों की स्थापना नहीं होगी, महंगाई पर नियंत्रण नहीं होगा और अपराध पर अंकुश नहीं लगेगा, तब तक देश की प्रगति संभव नहीं है। प्रधानमंत्री के निवास या कार्यालय का नाम बदलने से जनता का कल्याण नहीं होगा।"
भाई वीरेंद्र ने यह भी आरोप लगाया कि देश में अपराध की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। सरकार को नाम बदलने के बजाय मूल मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जिससे देश का विकास हो सके और लोग खुशहाल रहें।
बिहार में वर्तमान में चल रहे 'बुलडोजर एक्शन' पर उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से निवेदन किया कि पहले प्रभावित लोगों के लिए उचित इंतजाम करें और फिर तोड़-फोड़ की कार्रवाई आगे बढ़ाएं।
यह ध्यान देने योग्य है कि बिहार के सात जिलों जैसे पटना, गोपालगंज, छपरा, मोतिहारी, भागलपुर, समस्तीपुर और नालंदा में बुधवार सुबह से बुलडोजर चलाए जा रहे हैं।
विशेष रूप से मोतिहारी में छह पक्के मकान तोड़ दिए गए हैं। बिहार शरीफ में, नगर निगम ने सोहसराय इलाके में अतिक्रमण हटाया और सड़क के किनारे की कई दुकानों को हटा दिया।
बिहार विधानसभा सत्र के दौरान तेजस्वी यादव की अनुपस्थिति के विषय में पूछे जाने पर, उन्होंने कहा, "इस पर कुछ नहीं कहना है, कृपया ऐसे सवाल न करें।"
घुसपैठियों के मुद्दे पर दिए गए बयान पर भाई वीरेंद्र ने कहा कि इस तरह का बयान नहीं दिया जाना चाहिए था, न्यायाधीश को इस प्रकार का बयान देना शोभा नहीं देता।