क्या पाकिस्तान आतंक का पनाहगाह बनते हुए खुद मुश्किल में फंस गया है?
सारांश
Key Takeaways
- पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति में आतंकवाद का गहरा प्रभाव है।
- टीएलपी जैसे संगठनों पर प्रतिबंध लगाने के बावजूद पाकिस्तान की गतिविधियाँ जारी हैं।
- बांग्लादेश में आईएसआई की सक्रियता चिंताजनक है।
- बांग्लादेश धीरे-धीरे एक इस्लामी राष्ट्र बनने की ओर अग्रसर है।
- राजनीतिक दृष्टिकोण से पाकिस्तान और बांग्लादेश के संबंध जटिल हैं।
नई दिल्ली, 24 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। पाकिस्तान जो आतंकियों को आश्रय देने के लिए जाना जाता है, अब खुद ही संकट में फंस चुका है। जिन आतंकियों को इसने अपने राजनीतिक लाभ के लिए पाला था, आज वही संगठन इसे परेशान कर रहे हैं। इसका ताजा उदाहरण तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) पर प्रतिबंध लगाना है। फिर भी, पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। एक तरफ तो यह अपने ही पोषित संगठनों पर प्रतिबंध लगा रहा है, वहीं दूसरी ओर बांग्लादेश में आईएसआई को सक्रिय करने की कोशिश में लगा हुआ है।
टीएलपी पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय यह दर्शाता है कि पाकिस्तान को अपनी ज़मीन पर धार्मिक एजेंडा चलाने वाले कट्टरपंथियों से निपटने में गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
टीएलपी के सदस्य गाजा एकजुटता मार्च निकालने के दौरान हिंसक झड़पों में उलझ गए। विशेष रूप से मुरीदके में मार्च ने हिंसा का रूप ले लिया, जिसमें कई लोगों की जान चली गई।
टीएलपी को पाकिस्तानतालिबान ने आज पाकिस्तान की नाक में दम कर रखा है, उस पर अफगानिस्तान में नियंत्रण पाने के बाद इस्लामाबाद का आनंद देखा गया था।
वहीं, पाकिस्तान अपने देश में आतंकियों पर प्रतिबंध लगाते हुए बांग्लादेश को पूर्वी पाकिस्तान बनाने की कोशिश कर रहा है। हाल के दिनों में बांग्लादेश में आईएसआई की गतिविधियां बढ़ी हैं।
हाल ही में बांग्लादेश ने घोषणा की कि इस्लामिक रिवोल्यूशनरी आर्मी (आईआरए) का पहला चरण शुरू हो चुका है।
आईआरए को बांग्लादेशी सेना और डीजीआईएफ के स्थान पर लाया जा रहा है। इसका मुख्य कारण यह है कि यूनुस सरकार एक वफादार सेना चाहती है, जो उसके आदेशों पर चले।
पाकिस्तान, बांग्लादेश में इस्लामिक स्टेट की स्थापना और लोगों से शरिया कानून का पालन करवाने पर जोर दे रहा है। यही कारण है कि आईआरए सदस्यों को आईएसआई द्वारा प्रशिक्षण दिया जा रहा है। पाकिस्तान बांग्लादेश के सहारे भारत पर निशाना साधने की कोशिश कर रहा है।
राजनीतिक दृष्टिकोण से बांग्लादेश पाकिस्तान से काफी भिन्न है। भारत के साथ संबंधों में बांग्लादेश लिबरल है। इसका उदाहरण जमात-ए-इस्लामी के नेता के एक बयान में देखा जा सकता है।
न्यूयॉर्क में एक विदेशी पत्रकार से बात करते हुए, जमात-ए-इस्लामी के नेता डॉ. शफीकुर रहमान ने कहा कि भारत, बांग्लादेश की तुलना में 26 गुना बड़ा है। उनके संसाधन और जनसंख्या हमारे से कहीं ज्यादा हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए, हम उनकी स्थिति का सम्मान करते हैं। हालांकि, उन्हें हमारे छोटे से भूभाग और लगभग 18 करोड़ लोगों के अस्तित्व का भी सम्मान करना चाहिए। यही हमारी मांग है। अगर ऐसा होता है, तो न केवल दोनों पड़ोसी अच्छे से रह पाएंगे, बल्कि एक पड़ोसी को दूसरे की वजह से वैश्विक स्तर पर भी सम्मान मिलेगा।
दूसरी ओर, बांग्लादेश में आईएसआई कठोर कानून लागू करने की कोशिश कर रहा है। आईआरए महिलाओं के अधिकारों पर अंकुश लगाने के प्रयास करेगा और बांग्लादेश में ईरान के मॉडल को अपनाने का भी प्रयास किया जा रहा है।
हाल के दिनों में बांग्लादेश में जो गतिविधियाँ हो रही हैं, उनसे स्पष्ट है कि यह धीरे-धीरे सही, लेकिन निश्चित रूप से एक इस्लामी राष्ट्र बनने की दिशा में बढ़ रहा है।