क्या बुर्का विवाद के बावजूद पॉलिन हैनसन को समर्थन मिल रहा है?
सारांश
Key Takeaways
- पॉलिन हैनसन और वन नेशन की बढ़ती लोकप्रियता
- बुर्का विवाद का प्रभाव
- महंगाई और आप्रवासन के मुद्दे
- आगामी चुनावों में संभावनाएं
नई दिल्ली, 3 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। ऑस्ट्रेलिया में पॉलिन हैनसन और उनकी पार्टी वन नेशन अचानक फिर से चर्चा का विषय बन गई हैं। जो लोग ऑस्ट्रेलियाई राजनीति पर ध्यान रखते हैं, वे जानते हैं कि हैनसन अक्सर आप्रवासन पर कड़ी टिप्पणी करती हैं। लेकिन इस बार वह न केवल अपनी टिप्पणियों के कारण, बल्कि अपनी बढ़ती राजनीतिक ताकत के कारण भी सुर्खियों में हैं। 24 नवंबर को बुर्का पहनकर संसद में पहुंचने को लेकर काफी हंगामा हुआ था।
हाल ही में 'रॉय मॉर्गन' द्वारा किए गए एक सर्वे में 5,248 लोगों से पूछा गया कि वे किस पार्टी को पसंद करते हैं। नतीजा चौंकाने वाला था—वन नेशन को 14 प्रतिशत समर्थन मिला। यह पिछले 25-27 वर्षों में उनकी पार्टी के लिए सबसे बड़ा समर्थन माना जा रहा है।
हैनसन का समर्थन अचानक क्यों बढ़ा? इसके पीछे कई कारण हैं। दरअसल, ऑस्ट्रेलिया में महंगाई बढ़ी हुई है, किराए और घरों की कीमतें आसमान छू रही हैं, और लोगों के रहने-खाने का खर्च बढ़ता जा रहा है। वहीं, लगातार बढ़ता आप्रवासन भी कई लोगों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। ऑस्ट्रेलियन डॉट कॉम डॉट एयू ने आरबीए (रिजर्व बैंक ऑफ ऑस्ट्रेलिया) गवर्नर मिशेल बुलॉक की चिंता के बारे में बताया है कि राजकोषीय घाटा बढ़ने से ऑस्ट्रेलियाई लोगों के लिए ब्याज दरें भी बढ़ सकती हैं।
आम लोग अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं, और वन नेशन ऐसे ही मुद्दों को उठाकर वोटरों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रही है।
हाल ही में, हैनसन ने संसद में बुर्का पहनकर प्रवेश किया था। उनका कहना था कि वे देश में चेहरे ढकने वाले कपड़ों पर रोक लगाने का मुद्दा उठाना चाहती थीं। इस घटना ने संसद में हंगामा खड़ा कर दिया और उन्हें कुछ समय के लिए निलंबित भी कर दिया गया। यह कदम भले ही विवादित था, लेकिन इसका उल्टा प्रभाव पड़ा है। उनके समर्थकों की संख्या में वृद्धि हो रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि बड़ी पार्टियों की कमजोरी और लोगों पर बढ़ते आर्थिक बोझ ने वन नेशन को लाभ पहुंचाया है। अगर यह रुझान आगामी चुनावों में बना रहा, तो वन नेशन संसद के ऊपरी सदन यानी सिनेट में एक महत्वपूर्ण ताकत बन सकती है और नीतियों पर प्रभाव डाल सकती है।