क्या पहले लड़ाई आजादी के लिए थी, अब सामाजिक और सांस्कृतिक स्वतंत्रता के लिए है: सुधांशु त्रिवेदी?

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क्या पहले लड़ाई आजादी के लिए थी, अब सामाजिक और सांस्कृतिक स्वतंत्रता के लिए है: सुधांशु त्रिवेदी?

सारांश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को ‘वंदे मातरम’ के 150 साल पूरे होने पर चर्चा करेंगे। इस अवसर पर डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने सभी दलों से अपील की है कि वे अपने विचार साझा करें और राष्ट्र की एकता को बढ़ावा दें। क्या हम आजादी की लड़ाई की ऊर्जा को फिर से जागृत कर सकते हैं?

Key Takeaways

  • वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने पर चर्चा हो रही है।
  • राजनीतिक दलों से एकता की अपील की गई है।
  • आजादी की लड़ाई की ऊर्जा को पुनर्जीवित करने का अवसर है।

नई दिल्ली, 7 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को लोकसभा में ‘वंदे मातरम’ के 150 साल पूरे होने पर विशेष चर्चा की शुरुआत करेंगे। इससे पहले, भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने सभी राजनीतिक दलों से इस ऐतिहासिक अवसर पर अपने विचार साझा करने और राष्ट्र के विकास एवं एकता को बढ़ावा देने की अपील की।

भाजपा सांसद ने एक वीडियो संदेश में कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की प्राण ऊर्जा माने जाने वाले उद्घोष वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने पर सोमवार को संसद में चर्चा होने जा रही है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उद्बोधन भी शामिल होगा।

उन्होंने कहा कि देश प्रधानमंत्री मोदी का उद्बोधन सुनने के लिए अत्यंत उत्सुक है।

भाजपा सांसद ने कहा कि 19वीं सदी के अंतिम भाग में लिखा गया वंदे मातरम आज 21वीं सदी में निश्चित रूप से युवाओं को वही प्रेरणा और ऊर्जा देगा जो स्वतंत्रता आंदोलन के समय दी थी।

उन्होंने कहा कि तब लड़ाई स्वतंत्रता और राजनीतिक स्वतंत्रता के लिए थी, जबकि आज की लड़ाई सामाजिक और सांस्कृतिक स्वतंत्रता के लिए है।

भाजपा सांसद ने सभी दलों से अपील करते हुए कहा कि मैं उम्मीद करता हूँ कि इतिहास में जो गलतियाँ हुई थीं, उन्हें छोड़कर दलगत राजनीति से ऊपर उठकर कट्टरपंथी विचारों और वोटों की परवाह न करते हुए सभी दल मिलकर वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने के इस आयोजन में अपने विचार प्रस्तुत करें और राष्ट्र की एकता की भावना को और मजबूत करें।

बता दें कि पीएम मोदी बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा लिखित और 7 नवंबर 1875 को छपे इस राष्ट्रीय गीत के आजादी की लड़ाई में योगदान, इसके ऐतिहासिक महत्व और आज की प्रासंगिकता पर भी विचार कर सकते हैं।

वंदे मातरम के बारे में पीएम मोदी के विचारों का विपक्षी सदस्य बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। पिछले महीने, इस गीत की सालगिरह मनाने के एक कार्यक्रम के दौरान, उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि उसने पार्टी के 1937 के सत्र में असली गीत से 'जरूरी पंक्तियाँ हटाई हैं'।

Point of View

बल्कि आज के सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों पर भी हमारी दृष्टि को विस्तारित करने का अवसर है।
NationPress
09/12/2025

Frequently Asked Questions

वंदे मातरम का क्या महत्व है?
वंदे मातरम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक है और यह आजादी की प्रेरणा का स्रोत रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी का उद्बोधन कब होगा?
प्रधानमंत्री मोदी का उद्बोधन सोमवार को लोकसभा में होगा।
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