क्या इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करना उचित था? पीएम मोदी के लालकिले के भाषण पर राजद सांसद मनोज झा

सारांश
Key Takeaways
- इतिहास का सही प्रस्तुतिकरण आवश्यक है।
- देश को विशाल हृदय वाले नेताओं की आवश्यकता है।
- किसानों के हितों की रक्षा होना चाहिए।
- जीएसटी नीति में तुरंत बदलाव की आवश्यकता है।
- राजनीतिक भाषणों में सत्यता का होना अनिवार्य है।
नई दिल्ली, 15 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सांसद मनोज झा ने 79वें स्वतंत्रता दिवस पर पीएम नरेंद्र मोदी के लालकिले से 12वें संबोधन पर कटाक्ष करते हुए कहा कि इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करना उचित नहीं था। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता दिवस और लालकिले का प्राचीर इस उद्देश्य के लिए नहीं है।
मनोज झा ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में बताया कि इस दिन का सभी को बेसब्री से इंतजार रहता है। उन्होंने आगे कहा कि हर साल लोग उत्सुकता से देखते हैं कि पीएम मोदी अपने भाषण में क्या संदेश देंगे। लेकिन, जिस प्रकार का भाषण उन्होंने दिया, मुझे लगता है कि यह अवसर इसके लिए उचित नहीं था।
उन्होंने सुझाव दिया कि पीएम मोदी को पूर्व प्रधानमंत्रियों के भाषण सुनने चाहिए ताकि उन्हें सही दिशा मिल सके।
मनोज झा ने कहा कि देश को एक विशाल हृदय वाले पीएम की आवश्यकता है, न कि संकीर्ण सोच वाले। पीएम मोदी को चुनावी दायरे से ऊपर उठकर एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए ताकि देश को सही नेतृत्व मिल सके।
राजद सांसद ने पीएम मोदी के उस बयान पर भी पलटवार किया जिसमें उन्होंने कहा कि भारत के किसान, पशुपालक, और मछुआरे हमारी प्रमुख प्राथमिकता हैं। उन्होंने कहा कि भारत अपने किसानों, पशुपालकों और मछुआरों के लिए कभी भी समझौता नहीं करेगा।
मनोज झा ने कहा कि यदि पीएम मोदी को किसानों की चिंता होती, तो वे कृषि कानून नहीं लाते और वह बिल बिना चर्चा के सदन में पास नहीं होता। किसानों के विरोध के बाद इसे वापस लिया गया।
उन्होंने यह भी कहा कि पीएम मोदी कैसे यह कह सकते हैं कि वे किसानों के हित के बारे में सोचते हैं।
मनोज झा ने पीएम नरेंद्र मोदी के जीएसटी सुधारों को दीपावली तोहफे के रूप में पेश करने पर कहा, "इसे बिहार चुनाव से जोड़कर नहीं देखना चाहिए। इसे इस दृष्टिकोण से देखना चाहिए कि जीएसटी नीति सरकार की फेल रही है। यदि सरकार को जीएसटी में राहत देनी है, तो दीपावली तक इंतजार करने की आवश्यकता नहीं; इसे तुरंत लागू करना चाहिए।"
उन्होंने इस कदम को बिहार विधानसभा चुनाव से जोड़ने की बात को खारिज करते हुए कहा कि बिहार ने पहले ही अपना निर्णय ले लिया है और दावा किया कि एनडीए की सभी कोशिशें नाकाम होंगी।