क्या पीएम मोदी को 'खून और क्रिकेट' एक साथ नहीं चलना चाहिए? : संजय राउत

सारांश
Key Takeaways
- संजय राउत ने पीएम मोदी के भाषण पर सवाल उठाए।
- खून और क्रिकेट का मुद्दा गंभीरता से उठाया गया।
- सरकार की नौकरी देने की योजना पर संदेह व्यक्त किया गया।
मुंबई, 16 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिए गए संबोधन पर शनिवार को तीखा हमला किया। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कहा था कि खून और पानी एक साथ नहीं बहेगा, लेकिन अफसोस यह है कि एशिया कप में भारत और पाकिस्तान का मैच खेलना प्रस्तावित है।
संजय राउत ने कटाक्ष करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री को खून और पानी की जगह यह स्पष्ट करना चाहिए कि खून और क्रिकेट एक साथ नहीं चल सकते। प्रधानमंत्री के सामने ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बैठे थे, और उनके बेटे आईसीसी चेयरमैन हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री को अमित शाह की ओर इशारा करते हुए यह कहना चाहिए था कि खून और क्रिकेट एक साथ नहीं हो सकते। लेकिन, दुर्भाग्य से उन्होंने ऐसा नहीं कहा।
उन्होंने आगे कहा कि पानी की चिंता नहीं है, हम उसे संभाल लेंगे। लेकिन, सबसे पहले प्रधानमंत्री को यह सुनिश्चित करना होगा कि क्रिकेट भी इस स्थिति में नहीं चल सकता। यह बात अमित शाह को भी अपने बेटे को बतानी चाहिए।
संजय राउत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12वीं बार लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित किया है, लेकिन इस बार उनकी सरकार का समय समाप्त हो रहा है। अब कोई भी पूछने वाला नहीं है। 12वीं बार जब प्रधानमंत्री ने लाल किले से देश को संबोधित किया है, तो यह स्पष्ट है कि इस सरकार का समय समाप्त हो चुका है।
उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा घुसपैठियों का जिक्र किए जाने पर कहा कि यह सही है कि घुसपैठिया देश की सबसे बड़ी समस्या हैं। लेकिन, यदि आज बाहरी लोग हमारे देश में अपनी जगह बनाने में सफल हुए हैं, तो इसके लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है। केंद्र की लापरवाही के कारण आज देश की जनसांख्यिकी बदल चुकी है। लोग महात्मा गांधी और नेहरू को दोष दे रहे हैं। मैं पूछना चाहता हूं कि आप इतने वर्षों से सत्ता में हैं, आपने अब तक क्या किया?
संजय राउत ने कहा कि सरकार ने लाल किले की प्राचीर से देश के युवाओं को नौकरी देने का वादा किया है। लेकिन, हमें पता है कि अब तक इस सरकार ने कितने युवाओं को रोजगार दिया है। मुझे नहीं लगता कि इस सरकार से किसी प्रकार की उम्मीद लगाना उचित है।