क्या प्रवासी पक्षियों और बूचड़खानों का अध्ययन मनुष्यों में रोगों के फैलाव को रोक सकता है?

सारांश
Key Takeaways
- जानवरों से मनुष्यों में फैलने वाले 70% से अधिक रोग नियंत्रित करने के उपायों की आवश्यकता है।
- संक्रामक रोगों की रोकथाम के लिए एकीकृत दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है।
- नेशनल वन हेल्थ मिशन का उद्देश्य मानव, पशु और पर्यावरण स्वास्थ्य को मजबूत करना है।
- बूचड़खानों और प्रवासी पक्षियों का अध्ययन किया जा रहा है।
- अधिक लैब्स की आवश्यकता को महसूस किया गया है।
पुणे, 19 जून (राष्ट्र प्रेस)। आईसीएमआर के नेशनल वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट (एनआईवी) के निदेशक डॉ. नवीन कुमार ने बताया है कि जानवरों से मनुष्यों में संक्रमण फैलाने वाले रोगों की रोकथाम और उनकी जांच के लिए 'नेशनल वन हेल्थ मिशन' के अंतर्गत प्रवासी पक्षियों और बूचड़खानों का अध्ययन किया जा रहा है।
वर्ष 2022 में शुरू किया गया राष्ट्रीय 'वन हेल्थ मिशन' (एनओएचएम) एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण को अपनाता है। यह प्रतिक्रियात्मक उपायों से सक्रिय तैयारी की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
डॉ. नवीन कुमार ने राष्ट्र प्रेस को बताया, "संक्रामक रोगों, विशेष रूप से वायरल रोगों में से 70 प्रतिशत से अधिक रोग मनुष्यों में जानवरों से फैलते हैं। इसका अर्थ है कि यदि आप मानव स्वास्थ्य को सुरक्षित रखना चाहते हैं, तो यह आवश्यक है कि आप अपने आस-पास के जानवरों और वेक्टर (विषाणु, जीवाणु आदि) में बीमारी को नियंत्रित करने के उपायों को लागू करें।"
कुमार ने बताया कि चूंकि एकीकृत दृष्टिकोण के बिना यह संभव नहीं है, इसलिए 'एनओएचएम' की स्थापना 13 या अधिक मंत्रालयों/विभागों के समन्वय से की गई थी। इनमें स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन, कृषि एवं किसान कल्याण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, और आयुष मंत्रालय शामिल हैं। इन मंत्रालयों ने मानव, पशु और पर्यावरण स्वास्थ्य के लिए मजबूत निगरानी प्रणालियों का विकास किया है।
उन्होंने कहा, "कोविड-19 महामारी के दौरान इस मिशन की अहमियत का अहसास हुआ, जब केवल एनआईवी (राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान) एक बायो-सेफ्टी लेवल (बीएसएल) - 4 लैब के साथ कार्यरत था, जो उच्चतम नियंत्रण की सुविधा प्रदान करता है। इस लैब में वायरस पर शोध किया जा सकता है और यह सुनिश्चित किया जाता है कि यह लैब से बाहर रिसाव न हो।"
कुमार ने कहा, "महामारी के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि यदि हमारे पास एनआईवी जैसी और अधिक लैब होतीं, तो कोविड के समय हमारा रिस्पांस टाइम काफी कम हो सकता था।"
एनओएचएम के अंतर्गत, नागपुर में 'नेशनल वन हेल्थ इंस्टीट्यूट' का एक अलग केंद्र स्थापित किया जा रहा है। निर्माण कार्य के साथ-साथ संस्थान में वैज्ञानिक कार्य भी प्रारंभ हो चुका है।