क्या राहुल गांधी जनता का विश्वास खो चुके हैं? वोट नहीं, उनका जनादेश चोरी हो चुका है: चिराग पासवान
सारांश
Key Takeaways
- राहुल गांधी ने संसद में वोट चोरी का मुद्दा उठाया।
- चिराग पासवान ने कहा कि कांग्रेस का जनादेश चोरी हो गया है।
- राहुल की विदेश यात्राएँ उनकी गंभीरता पर सवाल उठाती हैं।
- जनता की नकारात्मक प्रतिक्रिया से कांग्रेस को आत्ममंथन की आवश्यकता है।
- चुनाव आयोग पर विश्वास की कमी है।
नई दिल्ली, 10 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। संसद के शीतकालीन सत्र में लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी द्वारा वोट चुराने के मुद्दे को उठाने पर केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कड़ा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि यहाँ कोई वोट चोरी नहीं हुई है, बल्कि राहुल गांधी और इंडिया महागठबंधन का जनादेश ही चोरी हो चुका है।
चिराग पासवान ने आगे कहा कि समस्या यह है कि जब भी राहुल गांधी बोलते हैं, वे तुरंत शिकायत करते हैं कि उन्हें बोलने का अवसर नहीं दिया जा रहा है। विपक्ष के नेता होने के बावजूद, वे अक्सर सदन में महत्वपूर्ण बहसों से अनुपस्थित रहते हैं। पिछले विपक्ष के नेताओं ने अपने समय का पूरा उपयोग किया, लेकिन राहुल गांधी की विदेश यात्राएँ अधिक महत्वपूर्ण हैं। यह दर्शाता है कि उनमें गंभीरता की कमी है।
उन्होंने वोट चोरी के मुद्दे पर कहा कि कांग्रेस और उनके नेताओं, विशेषकर राहुल गांधी, को यह समझना चाहिए कि यहाँ कोई वोट चोरी नहीं हुई है; उनका जन समर्थन समाप्त हो चुका है। जब तक वे बहाने बनाना बंद नहीं करते और आत्ममंथन नहीं करते कि वे विभिन्न राज्यों और लोकसभा चुनावों में क्यों हारते हैं, तब तक लोग उन्हें नकारते रहेंगे।
चिराग पासवान ने कहा कि उनका विश्वास किसी भी संस्था पर नहीं रहा है। जैसे चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्था पर भी उनका विश्वास नहीं है।
वहीं, राहुल गांधी के विदेश दौरे पर केंद्रीय राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने कहा कि बिहार चुनाव के नतीजों के समय भी राहुल गांधी विदेश में थे, उन्हें वोट चोरी के बारे में बोलने दिया जाए, क्योंकि हम जीतते रहेंगे। पीएम मोदी के नेतृत्व में बिहार के बाद पश्चिम बंगाल में भी हम सरकार बनाएंगे।
भाजपा सांसद जगदंबिका पाल ने राहुल गांधी पर तंज करते हुए कहा कि उनके पास कोई ठोस मुद्दा नहीं है। उनका एकमात्र मुद्दा चुनाव आयोग और ईवीएम है, और बिहार की जनता पहले ही इस पर अपना जवाब दे चुकी है।
उन्होंने कहा कि जब राहुल गांधी दिल्ली में होते हैं, तब भी क्या वे सत्र में आते हैं? सत्र में उपस्थित रहना नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी है, लेकिन वे अक्सर लापरवाह रहते हैं।