क्या राम केवल उत्तर भारत में ही नहीं, दक्षिण के हर घर में भी विराजते हैं?

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क्या राम केवल उत्तर भारत में ही नहीं, दक्षिण के हर घर में भी विराजते हैं?

सारांश

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अयोध्या में आयोजित समारोह में दक्षिण भारत के संतों के प्रति अपने विचार साझा किए। उन्होंने रामभक्ति की गहराई और भारतीय संस्कृति में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। जानिए इस समारोह में उन्होंने क्या कहा और राम के प्रति दक्षिण भारत की भक्ति का अद्भुत उदाहरण क्या है।

Key Takeaways

  • दक्षिण भारत में श्रीराम भक्ति का गहरा महत्व है।
  • त्यागराज स्वामी का योगदान भारतीय संगीत में महत्वपूर्ण है।
  • रामभक्ति का दायरा केवल भाषाई सीमाओं में नहीं है।
  • सर्वत्र राम की आराधना की जाती है।
  • यह समारोह एकता और विविधता का प्रतीक है।

अयोध्या, 8 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। अयोध्या के पवित्र बृहस्पति कुंड पर बुधवार को आयोजित ऐतिहासिक समारोह में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ दक्षिण भारत के तीन महान संगीत संतों त्यागराज स्वामीगल, पुरंदरदास और अरुणाचल कवि की भव्य प्रतिमाओं का अनावरण किया। इस अवसर पर निर्मला सीतारमण का उद्बोधन भावनाओं और भक्ति से ओतप्रोत रहा।

उन्होंने कहा कि दक्षिण भारत में श्रीराम भक्ति केवल आस्था नहीं, बल्कि जीवन का अभिन्न हिस्सा है।

निर्मला सीतारमण ने अपने संबोधन में कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दक्षिण भारत के संतों के बारे में जिस विस्तार से बताया, वह अद्भुत है। उन्होंने कहा कि पहले दक्षिण भारत में भाषाई भेदभाव नहीं था, तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और संस्कृत, सभी भाषाओं में कर्नाटक संगीत गाया जाता था, जो एकता का प्रतीक है।

वित्त मंत्री ने कहा कि त्यागराज स्वामी ने जीवनभर गरीबी में रहते हुए भी श्रीराम भक्ति को सर्वोच्च स्थान दिया। उन्होंने राजा के श्रेय में गीत गाने से इनकार कर केवल श्रीराम के लिए गीत गाए। उनकी भक्ति ऐसी थी कि हर गीत में श्रीराम की ऊर्जा प्रवाहित होती थी। लोग कहते हैं कि शायद हनुमान जी ने ही त्यागराज के रूप में जन्म लिया था। उन्होंने बताया कि त्यागराज स्वामी का गीत 'सीता कल्याण' दक्षिण भारत में हर विवाह समारोह में गाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि मेरी बेटी की शादी में भी वही गीत गाए गए थे।

निर्मला सीतारमण ने कहा कि रामभक्ति केवल हिंदी भाषी क्षेत्रों की नहीं है, बल्कि केरल में आज भी पूरे सिंह मास (अषाढ़) में हर घर में शाम के समय दीप जलाकर भगवान श्रीराम की आराधना की जाती है। पूरे महीने रामायण पढ़ी जाती है। यह मूर्त रूप नहीं, बल्कि अमूर्त भक्ति की परंपरा है। यह हमारे देश की सच्ची आत्मा है।

उन्होंने तमिल कवि अरुणाचल कवि का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने अपने प्रसिद्ध तमिल काव्य रामनाटकम् में माता सीता के प्रति गहरा सम्मान प्रकट किया। उन्होंने कहा था, एक लाख आंखों से सीता माता को देखो, उनसे सुंदर कोई नहीं।

निर्मला सीतारमण ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी राम जन्मभूमि के लोकार्पण से पहले दक्षिण भारत के श्रीराम से जुड़े मंदिरों की यात्रा की थी। वे श्रीरंगम मंदिर में गए, जहां कंब रामायण की रचना हुई थी। यही नहीं, अरुणाचल कवि को भी श्रीराम ने सपने में आदेश दिया था कि वे श्रीरंगम में रामनाटकम् प्रस्तुत करें।

वित्त मंत्री ने कहा कि दक्षिण भारत में न केवल पुरुष संत ही नहीं, बल्कि एक कुम्हार समुदाय की महिला ने भी तेलुगु में मोल्लरामायणम् लिखकर भक्ति की मिसाल कायम की। 'तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम हर भाषा में श्रीराम की महिमा का गान हुआ है। यही भारत की आत्मा है।

सीतारमण ने कहा कि आज का दिन अत्यंत पवित्र है। जिन संतों की हर श्वास में ‘राम’ था, उनकी प्रतिमाओं को अयोध्या में स्थान मिलना केवल योग से नहीं, श्रीराम की इच्छा से संभव हुआ है। उत्तर और दक्षिण भारत के बीच यह भक्ति से जुड़ी एकता का अद्भुत उदाहरण है। उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रति आभार जताया और कहा कि हमें लगा ही नहीं कि हम उत्तर भारत में हैं, ऐसा लगा जैसे अपने घर में समारोह कर रहे हैं।

Point of View

बल्कि यह पूरे देश को एक सूत्र में पिरोता है। निर्मला सीतारमण का उद्बोधन दर्शाता है कि भारतीय संस्कृति की गहराई में भक्ति और श्रद्धा की अमिट छाप है। यह एकता और विविधता का प्रतीक है जो हमारे देश की असली आत्मा को दर्शाता है।
NationPress
08/10/2025

Frequently Asked Questions

निर्मला सीतारमण ने किस समारोह में भाग लिया?
निर्मला सीतारमण ने अयोध्या के पवित्र बृहस्पति कुंड पर आयोजित ऐतिहासिक समारोह में भाग लिया।
दक्षिण भारत के किस संत का नाम लिया गया?
निर्मला सीतारमण ने त्यागराज स्वामी, पुरंदरदास और अरुणाचल कवि का नाम लिया।
रामभक्ति की परंपरा दक्षिण भारत में कैसे है?
दक्षिण भारत में रामभक्ति केवल आस्था नहीं, बल्कि जीवन का अभिन्न हिस्सा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किस मंदिर का दौरा किया?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीरंगम मंदिर का दौरा किया।
क्या रामभक्ति केवल हिंदी भाषी क्षेत्रों में है?
नहीं, रामभक्ति केवल हिंदी भाषी क्षेत्रों में नहीं है, बल्कि यह पूरे देश में फैली हुई है।