क्या संसद के शीतकालीन सत्र में प्रदूषण पर बहस होनी चाहिए? : इमरान प्रतापगढ़ी
सारांश
Key Takeaways
- प्रदूषण एक गंभीर राष्ट्रीय मुद्दा है।
- संसद में प्रदूषण पर चर्चा होनी चाहिए।
- सरकार और विपक्ष को मिलकर समाधान की दिशा में काम करना चाहिए।
नई दिल्ली, 12 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस के सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के प्रदूषण पर विचार करने वाले बयान का समर्थन किया और कहा कि संसद के शीतकालीन सत्र में इस पर गंभीरता से चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष ने बहुत ही प्रभावी मुद्दे उठाए हैं, जिन्हें भाजपा के सदस्यों को भी उठाना चाहिए।
इमरान प्रतापगढ़ी का यह वक्तव्य उस समय आया है जब नेता प्रतिपक्ष ने सदन में प्रदूषण पर अपने विचार रखे। राहुल गांधी ने कहा कि वायु प्रदूषण अब एक राष्ट्रीय आपदा बन चुका है और इसके खिलाफ एक तत्काल, व्यापक और निर्णायक राष्ट्रीय योजना की आवश्यकता है।
यह केवल एक राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि यह हम सभी की जिम्मेदारी है। हम प्रधानमंत्री के साथ मिलकर इसके समाधान के लिए कार्य करने को तैयार हैं। हमारे अधिकांश बड़े शहर जहरीली हवा से प्रभावित हैं, जिससे लाखों बच्चों को फेफड़ों की बीमारी हो रही है। उनके भविष्य पर खतरा मंडरा रहा है। लोग कैंसर से ग्रस्त हो रहे हैं और बुजुर्गों को सांस लेने में कठिनाई हो रही है। यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, जिस पर मुझे विश्वास है कि सरकार और हम सभी के बीच पूर्ण सहमति होगी। यह कोई विचार का विषय नहीं है। इस सदन में हर कोई इस बात से सहमत होगा कि वायु प्रदूषण हमारे लोगों को नुकसान पहुंचा रहा है, जिस पर हम सहयोग करना चाहेंगे।
राहुल गांधी के बयान पर इमरान प्रतापगढ़ी ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि भाजपा के लोग लोकसभा चुनाव के दौरान ‘400 पार’ का नारा दे रहे थे, लेकिन आज दिल्ली में AQI 400 के पार जा चुका है। अगर सांसें नहीं मिलेंगी, तो जीएंगे कैसे? वर्तमान संसद सत्र का सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा प्रदूषण होना चाहिए। राहुल गांधी की बात सही है। अब समय आ गया है कि हम नारों से हटकर सांसों की चिंता करें और प्रदूषण को कम करने के लिए ठोस कदम उठाएं।
उन्होंने चुनाव सुधार प्रक्रिया पर कहा कि निष्पक्षता बहुत आवश्यक है। आप हमसे दो किलोमीटर दूर खड़े होकर रेस की बराबरी की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?