क्या सरकार शुरुआत से मनरेगा से महात्मा गांधी का नाम हटाना चाहती थी? : कांग्रेस सांसद तनुज पुनिया
सारांश
Key Takeaways
- मनरेगा का उद्देश्य ग्रामीण रोजगार को सुनिश्चित करना था।
- केंद्र सरकार ने महात्मा गांधी का नाम हटाने का प्रयास किया।
- विपक्ष ने बिल के खिलाफ आवाज उठाई है।
- नई योजना में कोई गारंटी नहीं है।
- सरकार की नीति पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
नई दिल्ली, 18 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्र सरकार द्वारा 'मनरेगा' का नाम बदलकर 'विकसित भारत जी-राम जी' करने को लेकर विवाद जारी है। इस संदर्भ में गुरुवार को लोकसभा में एक बिल पास किया गया। कांग्रेस नेता तनुज पुनिया ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि शुरुआत से ही सरकार इस योजना से महात्मा गांधी का नाम हटाना चाहती थी।
तनुज पुनिया ने राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए कहा, "यह एक डिसेंट्रलाइज्ड और डिमांड-बेस्ड योजना थी। इसके तहत देश के किसी भी ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले व्यक्ति को काम की आवश्यकता होती थी, तो उसे केवल एक फॉर्म भरना होता था। यह केंद्र सरकार की जिम्मेदारी थी कि उसे रोजगार प्रदान किया जाए। 100 दिन के रोजगार की गारंटी से इसकी शुरुआत हुई थी, लेकिन अब यह सिर्फ एक साधारण योजना बनकर रह गई है।"
उन्होंने आगे कहा, "राज्य पर भारी बोझ डाल दिया गया है। अब इसमें कोई गारंटी नहीं है। केंद्र सरकार तय करेगी कि किस क्षेत्र में रोजगार दिया जाएगा और उसी में रोजगार प्रदान किया जाएगा। केंद्र जितना आवंटन करेगा, उतना ही पैसा मिलेगा। ऐसे में इसमें कोई गारंटी नहीं बची है। सरकार ने इस योजना में बेवजह 'गारंटी' शब्द जोड़ रखा है। गारंटी वह होती है, जो डिमांड-बेस्ड होती है। जिसे रोजगार चाहिए, उसे रोजगार मिलना चाहिए।"
तनुज पुनिया ने यह भी कहा, "वर्तमान सरकार की मंशा शुरू से ही योजना से महात्मा गांधी का नाम हटाने की थी। वे गोडसे की विचारधारा के समर्थक हैं और नहीं चाहते कि महात्मा गांधी की विचारधारा देश में प्रचलित हो। वे मनरेगा के भुगतान में लगातार देरी करते रहे। जितने लोगों को रोजगार मिलना चाहिए था, उतने लोगों को रोजगार नहीं मिलेगा।"
कांग्रेस सांसद ने कहा, "जब विपक्ष ने बिल की कॉपी फाड़ी, तब कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस को भंग करने की बात की। कॉपी फाड़ी गई, क्योंकि सरकार आम जनता और गरीबों पर हमले कर रही है। ऐसे में कहीं न कहीं सरकार ही गलत है। इसे इस बिल को वापस ले लेना चाहिए।"