क्या एसआईआर के जरिए मतदाताओं के नाम काटे जा रहे हैं? : राम गोपाल यादव
सारांश
Key Takeaways
- राम गोपाल यादव ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
- एसआईआर के जरिए मतदाताओं के नाम काटने की प्रक्रिया पर सवाल उठाए गए हैं।
- यह मुद्दा राजनीतिक और लोकतांत्रिक अधिकारों से संबंधित है।
- चुनाव आयोग को पारदर्शिता बनाए रखनी चाहिए।
- मतदाताओं के अधिकारों की रक्षा करना जरूरी है।
इटावा, 3 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। एसआईआर के मुद्दे पर राजनीतिक चर्चाएँ थमने का नाम नहीं ले रही हैं। समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद राम गोपाल यादव ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाते हुए कहा कि एसआईआर के माध्यम से लोगों के नामों को काटा जा रहा है।
उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा, "जब से चुनाव हो रहे हैं, तब से जिन लोगों की मौत हो जाती है, उनके नाम हटा दिए जाते हैं, जबकि जो मतदाता होते हैं, उनके नाम जोड़ दिए जाते हैं। यह प्रक्रिया चुनाव से लगभग एक साल पहले की जाती है। इसके बाद पूरी वोटर लिस्ट जारी की जाती है। यदि किसी का नाम गलत लिखा हो, तो उसे सही कर दिया जाता है। यह प्रक्रिया हमेशा से होती आई है। लेकिन केंद्र में भाजपा की सरकार आने के बाद यह प्रक्रिया लगभग समाप्त हो गई है।"
उन्होंने आगे कहा कि एसआईआर पर राजनीति का खेल दिल्ली की सत्ता में बैठे लोग कर रहे हैं, अन्यथा इसकी कोई आवश्यकता नहीं थी। एसआईआर के माध्यम से मतदाताओं के नामों को काटा जा रहा है, जिससे लोग परेशानी में हैं। चुनाव आयोग को इस तरह से काम नहीं करना चाहिए, जैसे कि वह केंद्र सरकार के साथ मिलकर कर रहा है।
राम गोपाल यादव ने कहा, "सबसे चिंताजनक बात यह है कि इतना बड़ा कार्य बहुत कम समय में किया जा रहा है, जिसके कारण बीएलओ आत्महत्या कर रहे हैं। यह स्थिति ठीक नहीं है। आप केवल सत्ता में बने रहने के लिए हर संभव तरीका और शॉर्टकट नहीं अपना सकते। जनता सब देख रही है और आने वाले समय में इसका जवाब मिलेगा।"
उन्होंने यह भी कहा कि मैंने ऑल पार्टी मीटिंग में यह बात साझा की थी, जिसमें वरिष्ठ मंत्री भी उपस्थित थे। यदि कोई गलत तरीके से सत्ता में बने रहना चाहता है, तो उसे बांग्लादेश और नेपाल से सीखना चाहिए। लोगों को इतिहास से सबक लेना चाहिए। यदि इतिहास से नहीं सीखेंगे, तो नतीजे गंभीर होंगे। उन्हें इसके लिए तैयार रहना चाहिए। जब फैसला आएगा, तो सबको पता चल जाएगा।