क्या प्लीहा को शरीर का अनसुना रक्षक कहा जा सकता है? आयुर्वेद से जानें अद्भुत तथ्य

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क्या प्लीहा को शरीर का अनसुना रक्षक कहा जा सकता है? आयुर्वेद से जानें अद्भुत तथ्य

सारांश

क्या आप जानते हैं कि प्लीहा शरीर का एक अनसुना रक्षक है? इस छोटे से अंग का महत्व न केवल रक्त संग्रहण में है, बल्कि यह हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली का भी अभिन्न हिस्सा है। जानें इसके अद्भुत तथ्य और इसे स्वस्थ रखने के उपाय।

Key Takeaways

  • प्लीहा शरीर का ब्लड बैंक है।
  • यह हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली का एक महत्वपूर्ण अंग है।
  • प्लीहा के बढ़ने से प्लीहावृद्धि होती है।
  • गिलोय और त्रिफला का सेवन प्लीहा को स्वस्थ रखता है।
  • तैलीय भोजन से दूरी बनाना प्लीहा के लिए फायदेमंद है।

नई दिल्ली, 25 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। जब हम शरीर के महत्वपूर्ण अंगों पर चर्चा करते हैं, तो सबसे पहले दिमाग, हृदय, फेफड़े और किडनी का नाम आता है। लेकिन एक ऐसा अंग भी है जो उतना ही महत्वपूर्ण है, फिर भी उसके बारे में जानकारी बहुत कम लोगों को होती है। यह है प्लीहा या तिल्ली। यह अंग एक छोटा-सा, स्पंजी संरचना वाला होता है और बाईं ओर पसलियों के नीचे, पेट और डायफ्राम के बीच स्थित होता है। आकार में यह लगभग एक मुट्ठी जितना होता है।

प्लीहा को शरीर का ब्लड बैंक कहा जाता है। यह रक्त को संग्रहित करके रखती है और आवश्यकता पड़ने पर, जैसे चोट लगने पर या अचानक रक्तस्राव होने पर, अतिरिक्त रक्त कोशिकाएं शरीर में छोड़ देती है। यह शरीर की फिल्टर मशीन भी है, जो पुरानी और क्षतिग्रस्त लाल रक्त कोशिकाओं को नष्ट करके उनमें से उपयोगी तत्व, जैसे आयरन, को पुनः प्रयोग के लिए सुरक्षित कर लेती है।

प्लीहा हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसमें मौजूद सफेद रक्त कोशिकाएं और एंटीबॉडीज हमें संक्रमण से बचाती हैं। यही कारण है कि जिन लोगों की प्लीहा शल्यक्रिया (सर्जरी) द्वारा निकाल दी जाती है, उनका इम्यून सिस्टम अपेक्षाकृत कमजोर हो जाता है और उन्हें संक्रमण का खतरा अधिक रहता है।

कई बीमारियों जैसे मलेरिया, टायफाइड और ल्यूकेमिया में प्लीहा का आकार बढ़ सकता है। खेलों में चोट लगने पर प्लीहा फट भी सकती है, जो आंतरिक रक्तस्राव के कारण जीवन के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। खास बात यह है कि प्लीहा को साइलेंट ऑर्गन भी कहा जाता है, क्योंकि इसके शुरुआती लक्षण नहीं दिखते। दर्द तभी महसूस होता है जब यह काफी बढ़ जाता है।

दिलचस्प तथ्य यह है कि लगभग 10-15 प्रतिशत लोगों में एक अतिरिक्त छोटा-सा प्लीहा पाया जाता है, जो आमतौर पर किसी समस्या का कारण नहीं बनता।

आयुर्वेद में प्लीहा को रक्त धातु और प्रतिरक्षा शक्ति का आधार माना गया है। प्लीहा के बढ़ने को प्लीहावृद्धि कहा जाता है। इसे संतुलित रखने के लिए आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों और घरेलू उपायों का उल्लेख मिलता है।

आयुर्वेद में प्लीहा को स्वस्थ रखने के कई उपाय बताए गए हैं। गिलोय का रस, त्रिफला चूर्ण, पपीते के पत्ते का रस, हल्दी वाला दूध, हरी सब्जियां, अनार, अदरक और शहद का सेवन करना लाभकारी माना जाता है।

इसके अलावा, प्लीहा की सुरक्षा के लिए तैलीय, बासी और भारी भोजन से बचना चाहिए। समय पर भोजन करना और पाचन क्रिया को संतुलित रखना जरूरी है। धूम्रपान और शराब जैसी आदतों से दूरी बनाना लाभकारी है। यदि चोट लगने के बाद पेट में तेज दर्द या सूजन हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

Point of View

हम यह मानते हैं कि प्लीहा जैसे अंगों के महत्व को समझना आवश्यक है। यह न केवल स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि हमें इसकी सुरक्षा के लिए जागरूक भी रहना चाहिए। सही जानकारी और उपायों के माध्यम से हम अपनी सेहत को बनाए रख सकते हैं।
NationPress
25/09/2025

Frequently Asked Questions

प्लीहा का मुख्य कार्य क्या है?
प्लीहा का मुख्य कार्य रक्त संग्रहण और प्रतिरक्षा प्रणाली का समर्थन करना है।
क्या प्लीहा का आकार बढ़ सकता है?
हाँ, कई बीमारियों जैसे मलेरिया, टायफाइड में प्लीहा का आकार बढ़ सकता है।
प्लीहा को स्वस्थ रखने के उपाय कौन से हैं?
गिलोय का रस, त्रिफला चूर्ण, और हरी सब्जियों का सेवन करना लाभकारी है।