क्या एसटी हसन जैसे लोग इस्लाम और नमाज को बदनाम कर रहे हैं? : मौलाना यासूब अब्बास

सारांश
Key Takeaways
- नमाज एक धार्मिक इबादत है।
- योग स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है।
- एसटी हसन के बयानों पर मौलाना यासूब अब्बास की प्रतिक्रिया महत्वपूर्ण है।
- योग दिवस का महत्व वैश्विक स्तर पर बढ़ रहा है।
- धार्मिक और व्यक्तिगत विचारों में संतुलन आवश्यक है।
रांची, 19 जून (राष्ट्र प्रेस)। समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद एस.टी. हसन द्वारा योग के बारे में दिए गए बयान को शिया धर्मगुरु मौलाना यासूब अब्बास ने गलत ठहराया है। उन्होंने कहा कि एस.टी. हसन जैसे लोग इस्लाम और नमाज को बदनाम करते हैं।
गुरुवार को समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में मौलाना यासूब अब्बास ने कहा कि नमाज और योग को एक साथ जोड़ना अनुचित है। मैं इसकी कड़ी निंदा करता हूँ। नमाज एक इबादत है, और अगर किसी को नमाज अदा करनी है, तो वह किसी भी स्थान पर इसे अदा कर सकता है। इसे योग से जोड़ना किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं है।
उन्होंने आगे कहा कि योग हमारे स्वास्थ्य से संबंधित है। नमाज और योग का कोई संबंध नहीं है। 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर भारत सहित पूरी दुनिया योग करती है। जैसे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योग का प्रचार किया है, इससे न केवल भारत बल्कि अन्य देशों के लोगों को भी लाभ हुआ है। विदेशों में भी बड़े स्तर पर योग का अभ्यास किया जा रहा है।
मौलाना यासूब अब्बास ने कहा, "मैं सपा नेता एस.टी. हसन से अपील करता हूँ कि बेवजह बयान देने से बचें। यदि कोई बयान देना है, तो इस्लाम के जानकार से बात करना आवश्यक है, क्योंकि कई बार आप अपने बयानों से इस्लाम और नमाज को बदनाम कर देते हैं।"
एस.टी. हसन ने योग दिवस पर कर्मचारियों को दिए जाने वाले विशेष ब्रेक पर सवाल उठाया था। उन्होंने कहा कि योगा डे पर ब्रेक देने की कोई आवश्यकता नहीं है। कर्मचारी चाहें तो घर से योग करके कार्यालय आ सकते हैं। जब मुसलमानों को नमाज के लिए आधे घंटे का भी ब्रेक नहीं दिया जाता, तो योग के लिए विशेष ब्रेक देना कितना उचित है?