क्या वंदे मातरम् सामाजिक, सांस्कृतिक और बौद्धिक विरासत का पर्याय है? स्पीकर नरेंद्र सिंह तोमर
सारांश
Key Takeaways
- वंदे मातरम् हमारी सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है।
- यह गीत राष्ट्र हित में प्रयास करने की प्रेरणा देता है।
- श्री अरविंद का विचार पूर्ण स्वराज की आवश्यकता पर केंद्रित था।
- हेमंत मुक्तिबोध ने इसे साकार रूप में अपनाने का आह्वान किया।
- यह गीत भविष्य का उद्घोष करता है।
भोपाल, 16 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश विधानसभा के स्पीकर नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि राष्ट्र गीत वंदे मातरम् केवल भारत को नहीं, बल्कि सम्पूर्ण विश्व को एक सूत्र में बांधने और सही दिशा में ले जाने का भाव रखता है। इसे केवल एक साधारण गीत कहना उचित नहीं होगा, क्योंकि यह हमारी सामाजिक, सांस्कृतिक और बौद्धिक विरासत का प्रतीक है, जो हमें निरंतर याद दिलाता रहेगा कि हमें किस मार्ग पर आगे बढ़ना चाहिए।
श्रीअरविंद सोसायटी, शाखा भोपाल के दिव्यांश रजत जयंती समारोह में स्पीकर नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि यह गीत आज भी प्रासंगिक है और हमें राष्ट्र हित में लगातार प्रयास करने की प्रेरणा देता है। उन्होंने बताया कि श्री अरविंद का मानना था कि केवल स्वतंत्रता ही भारत के लिए पर्याप्त नहीं है, बल्कि हमें पूर्ण स्वराज की आवश्यकता है। इसी विचार को रखते हुए वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी वंदे मातरम् के माध्यम से देश में पूर्ण स्वराज की स्थापना की बात कर रहे हैं।
तोमर ने यह भी कहा कि भगवान ने बंकिम बाबू को वंदे मातरम् लिखने की प्रेरणा दी और इसी प्रेरणा ने महर्षि अरविंद को भी आगे बढ़ाया। उन्होंने उल्लेख किया कि अतीत में वंदे मातरम् पर आपत्ति का विरोध पर्याप्त रूप से नहीं किया गया, यदि ऐसा होता तो भारत का विभाजन नहीं होता।
समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सह कार्यवाह हेमंत मुक्तिबोध ने कहा कि हमें वंदे मातरम् को वास्तविकता में अपनाना चाहिए। वंदे मातरम् का एक ही संदेश है: व्यक्ति के विचार, दृष्टिकोण और कार्य समान होने चाहिए। यह गीत करोड़ों लोगों में राष्ट्र भक्ति की अलख जगाता है और इसमें अध्यात्म और राष्ट्र भक्ति का अद्भुत संगम है।
यह गीत शताब्दी की दास्ता के खिलाफ जागरण का कार्य करता है। यह न केवल अतीत की याद दिलाता है, बल्कि उज्ज्वल भविष्य का उद्घोष भी करता है। इस अवसर पर विशेष अतिथि, भोपाल दक्षिण पश्चिम विधानसभा के विधायक भगवानदास सबनानी ने कहा कि हमें श्री अरविंद के बहुआयामी व्यक्तित्व को समझना आवश्यक है और वंदे मातरम् के माध्यम से स्वतंत्रता आंदोलन की अलख जगाने का संदेश आज भी प्रासंगिक है।