क्या वंतारा ने दुनिया में पशु संरक्षण के नए मानक स्थापित किए हैं?

सारांश
Key Takeaways
- वंतारा वन्यजीव केंद्र दुनिया के प्रमुख पशु संरक्षण केंद्रों में से एक है।
- सुप्रीम कोर्ट की रिपोर्ट ने वंतारा के कामकाज को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बताया है।
- वंतारा में पशुओं की मृत्यु दर अंतरराष्ट्रीय औसत के अनुरूप है।
- ग्लोबल ह्यूमन ने वंतारा को ग्लोबल ह्यूमन सर्टिफाइड सील प्रदान की है।
- वंतारा का दृष्टिकोण जानवरों के समग्र विकास और भलाई पर केंद्रित है।
नई दिल्ली, 19 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। गुजरात के जामनगर में स्थित वंतारा वन्यजीव केंद्र को सर्वोच्च अदालत से कथित खामियों के आरोपों से क्लीन चिट मिल गई है। वंतारा ने यह साबित किया है कि यह दुनिया के शीर्ष पशु संरक्षण केंद्रों में से एक है। हाल ही में जारी सुप्रीम कोर्ट की रिपोर्ट ने पुष्टि की है कि वंतारा का कार्यभार न केवल भारतीय, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप भी है।
आज के समय में जानवरों और प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा पर वैश्विक ध्यान केंद्रित है। ऐसे में वंतारा जैसी पहल भारत को वैश्विक स्तर पर एक सकारात्मक उदाहरण प्रस्तुत कर रही है। सुप्रीम कोर्ट की हालिया एसआईटी रिपोर्ट में वंतारा के मॉडल को नैतिक, पारदर्शी और वैज्ञानिक तरीकों से पशु संरक्षण का नया मानक बताया गया है।
पशु कल्याण के मामलों में सुप्रीम कोर्ट के जज पंकज मित्तल और पीबी वराले ने एसआईटी की रिपोर्ट के हवाले से कहा कि वंतारा में पशुओं की मृत्यु दर अंतरराष्ट्रीय औसत के अनुरूप है और यहां की देखभाल व प्रबंधन पद्धतियां भी अंतरराष्ट्रीय मानकों से मेल खाती हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि ग्लोबल ह्यूमन जैसी स्वतंत्र संस्थाओं ने साइट निरीक्षण और ऑडिट के बाद वंतारा को ग्लोबल ह्यूमन सर्टिफाइड सील ऑफ अप्रूवल प्रदान किया है। यह मान्यता वंतारा के पशु कल्याण और संरक्षण के उच्च मानकों को स्वतंत्र रूप से प्रमाणित करती है।
अनंत अंबानी के नेतृत्व में वंतारा ने सहानुभूति और विज्ञान पर आधारित पशु देखभाल का एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। यहां अत्याधुनिक पशु चिकित्सालय, विशेष आहार योजनाएं और प्राकृतिक आवास तैयार करके न केवल जानवरों की जीवन रक्षा की जाती है, बल्कि उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान दिया जाता है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि वंतारा का दृष्टिकोण प्रत्येक जानवर के समग्र विकास और भलाई पर केंद्रित है।
पिछले सप्ताह उत्तराखंड और तेलंगाना उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रघुवेंद्र चौहान, पूर्व मुंबई पुलिस आयुक्त हेमंत नागराले और वरिष्ठ आईआरएस अधिकारी अनीश गुप्ता वाली एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में शीर्ष अदालत को सौंपी थी।