क्या वोट बिहार का और कारखाना गुजरात में अब नहीं चलेगा: प्रशांत किशोर?

सारांश
Key Takeaways
- बिहार में शिक्षा और रोजगार की आवश्यकता
- पलायन के मुद्दे पर ध्यान देना
- प्रशांत किशोर की यात्रा सकारात्मक बदलाव का प्रतीक
- कानून व्यवस्था की स्थिति चिंताजनक
- बिहार की सरकार की जिम्मेदारी
बांका, 17 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। जन सुराज के प्रमुख प्रशांत किशोर अपनी 'बिहार बदलाव यात्रा' के तहत विभिन्न जिलों और प्रखंडों में नागरिकों से संवाद कर रहे हैं। इसी संदर्भ में वे गुरुवार को बांका पहुंचे।
प्रशांत किशोर ने यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा कि बिहार में संपूर्ण क्रांति और व्यवस्था परिवर्तन के उद्देश्य से 20 मई को जेपी की जन्मभूमि सिताब दियारा से 'बिहार बदलाव यात्रा' की शुरुआत की गई। यात्रा का मुख्य उद्देश्य बिहार की जनता को जागरूक करना है।
उन्होंने कहा कि अब वोट बिहार में और कारखाना गुजरात में नहीं चलने वाला है। उन्होंने यह भी कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 18 जुलाई को मोतिहारी आ रहे हैं। उन्हें बताना चाहिए कि बिहार की शिक्षा व्यवस्था कब सुधरेगी और पलायन कब रुकेगा। उन्हें यह भी बताना चाहिए कि बिहार में कारखाने कब लगेंगे, ताकि बिहार के बच्चे गुजरात और महाराष्ट्र में काम करने के लिए न जाएं।"
उन्होंने कहा कि बिहार के बच्चों के लिए रोजगार होना चाहिए और पलायन बंद होना चाहिए, ताकि लोग अपने परिवार के साथ अपने गांव में रह सकें। यहां के लोगों की यही इच्छा है। अब यह नहीं चलेगा कि आप वोट बिहार में लीजिए और फैक्ट्री गुजरात में लगाइए। बिहार में बदलाव होगा और बच्चों के लिए शिक्षा और रोजगार मिलेगा।
बिहार की कानून व्यवस्था के बारे में उन्होंने कहा कि स्थिति और बिगड़ने वाली है, क्योंकि पूरा पुलिस प्रशासन शराब माफिया और बालू माफियाओं से रिश्वत लेने में लगा है। जब पुलिस के लोग पैसा कमाने में लगे हैं, तो कानून व्यवस्था की स्थिति सुधारने में कब लगेंगे?
उन्होंने कहा कि सरकार का इकबाल खत्म हो चुका है। नीतीश कुमार मुख्यमंत्री के रूप में काम नहीं कर रहे हैं। उनकी शारीरिक और मानसिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वे काम कर सकें। जब सरकार का मुखिया ही अचेतन अवस्था में रहेगा, तो प्रदेश में ऐसी ही स्थिति होगी।