क्या योगी सरकार का 'विकसित यूपी 2047' विजन, नारी को आत्मनिर्भर बना रहा है और व्यापार को बढ़ावा दे रहा है?

सारांश
Key Takeaways
- महिलाओं का सशक्तिकरण प्रदेश के विकास का महत्वपूर्ण स्तंभ है।
- बेरोजगारी दर में कमी आई है, जो आर्थिक विकास का संकेत है।
- औद्योगिक गतिविधियों में तेजी आई है, जिससे रोजगार के अवसर बढ़े हैं।
- निवेश में वृद्धि हुई है, जो विकास का संकेत है।
- प्रदेश की जीडीपी में सुधार की दिशा में प्रयास जारी हैं।
लखनऊ, १० सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पिछले साढ़े आठ वर्षों के प्रयासों के परिणाम स्वरूप, आज प्रदेश की बेटियां और व्यापारी दोनों सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। इसी कारण, लक्ष्मी स्वरूप महिलाएं तेजी से सशक्त हो रही हैं। प्रदेश में उद्योग और व्यापार का माहौल भी विकसित हो रहा है। इसी सोच के साथ, सीएम योगी आदित्यनाथ ने 'विकसित यूपी @2047' का विजन प्रस्तुत किया है, जिसमें आत्मनिर्भर नारी और बम्पर व्यापार को राज्य की प्रगति का मुख्य आधार माना गया है।
साल २०१७ से पहले, प्रदेश कई चुनौतियों से जूझ रहा था। गुंडाराज, माफिया तंत्र और अपराध ने महिलाओं तथा उद्यमियों को सबसे अधिक परेशान किया था। बेटियां स्कूल-कॉलेज जाने से हिचकिचाती थीं, और व्यापारी गुंडा टैक्स और रंगदारी देने के लिए मजबूर थे या प्रदेश छोड़ने पर विवश थे। उस समय बेरोजगारी दर ६.२ प्रतिशत थी और लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट (एलएफपीआर) केवल ४४.६ प्रतिशत था। सबसे बड़ी चिंता महिला श्रम भागीदारी दर थी, जो सिर्फ १३.५ प्रतिशत पर अटकी हुई थी। निवेशक प्रदेश में आने से हिचकिचा रहे थे और कई फैक्ट्रियां बंद होने के कगार पर थीं। औद्योगिक गतिविधियां ठप होने लगी थीं और रोजगार का संकट बढ़ रहा था।
योगी सरकार ने पिछले साढ़े आठ वर्षों में अपराध और अपराधियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई। अपराधी जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गए या प्रदेश छोड़कर भाग गए। इसके बाद, महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण के साथ-साथ निवेश के क्षेत्र में भी व्यापक बदलाव दिखने लगे। प्रदेश का एलएफपीआर ४४.६ प्रतिशत से बढ़कर ५६.९ प्रतिशत हो गया। महिला श्रम भागीदारी दर में भी ऐतिहासिक उछाल आया और यह १३.५ से बढ़कर ३४.५ प्रतिशत तक पहुंच गई।
बेरोजगारी दर घटकर ३ प्रतिशत पर आ गई और अकेले एमएसएमई सेक्टर से १.६५ करोड़ रोजगार सृजित हुए। औद्योगिक ऋण ३.५४ लाख करोड़ रुपये से बढ़कर ९.२४ लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया। इसी दौरान, ४५ लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्तावों पर समझौते हुए, जिनमें से १५ लाख करोड़ रुपये की परियोजनाएं जमीन पर उतर चुकी हैं।
योगी सरकार के प्रयासों से प्रदेश में औद्योगिक गतिविधियों को नया जीवन मिला है। पंजीकृत फैक्ट्रियों की संख्या १४,१६९ से बढ़कर २७,२९५ तक हो गई है। 'वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट' (ओडीओपी) योजना के अंतर्गत ७७ उत्पादों को जीआई टैग मिला है, जिसके बाद उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय स्तर पर पहले स्थान पर पहुंच गया है। एमएसएमई इकाइयों की संख्या ९६ लाख हो गई, जो पूरे देश में सबसे अधिक है। यह न केवल रोजगार का बड़ा जरिया बना है, बल्कि वैश्विक बाजार में उत्तर प्रदेश की पहचान भी मजबूत हुई है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का मानना है कि 'विकसित यूपी @2047' का सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ महिला सशक्तिकरण है। सरकार का लक्ष्य है कि २०३० तक प्रदेश में महिला श्रम भागीदारी दर ५० प्रतिशत हो और २०४७ तक यह पुरुषों के बराबर पहुंचे। इसके लिए महिलाओं को स्टेम (साइंस, तकनीकी, इंजीनियरिंग और गणित) शिक्षा, तकनीकी प्रशिक्षण और उद्यमिता के अवसर प्रदान किए जाएंगे। किशोरी कल्याण, पोषण और स्वास्थ्य सेवाओं को और सशक्त किया जाएगा। महिला श्रमिकों के लिए २०३० और २०४७ तक उनकी जरूरत के अनुसार हर शहर में हॉस्टल की व्यवस्था की जाएगी।
सरकार का लक्ष्य है कि २०४७ तक विनिर्माण निर्यात में उत्तर प्रदेश देश में नंबर एक बने और विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) के मामले में भी शीर्ष पर पहुंचे। प्रदेश की पांच औद्योगिक कंपनियों को फॉर्च्यून ग्लोबल ५०० की सूची में शामिल कराने के लिए एक रोडमैप तैयार किया गया है। इसके लिए एयरोस्पेस, डिफेंस प्रोडक्शन, अपैरल्स, इलेक्ट्रिक व्हीकल और सेमीकंडक्टर को रणनीतिक स्तंभ बनाया गया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट किया है कि उत्तर प्रदेश में भविष्य का उद्योग केवल रोजगार नहीं देगा, बल्कि सतत विकास का एक मॉडल भी बनेगा। इसी दिशा में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस, ग्रीन मैन्युफैक्चरिंग, औद्योगिक अवसंरचना, नीतिगत ढांचा, तकनीक का उपयोग और एमएसएमई को वैश्विक मूल्य श्रृंखला में शामिल करने पर विशेष जोर दिया जा रहा है।
'विकसित यूपी @2047' के तहत राज्य ने ६ ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके लिए २०२५ से २०४७ तक औसतन १६ प्रतिशत की विकास दर बनाए रखनी होगी। वर्तमान में प्रदेश की जीडीपी ३५३ बिलियन डॉलर है, जो २०३० तक १००० बिलियन, २०३६ तक २००० बिलियन और २०४७ तक ६००० बिलियन डॉलर तक पहुंचाई जाएगी। उस समय प्रति व्यक्ति आय २६ लाख रुपये तक होगी और यूपी देश की कुल जीडीपी में २० प्रतिशत योगदान देगा।