क्या जिम्मेदारी लेने वाले होते, तो क्या जान बच सकती थी?

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क्या जिम्मेदारी लेने वाले होते, तो क्या जान बच सकती थी?

सारांश

ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने बालासोर एफएम कॉलेज की छात्रा की दुखद मृत्यु पर गहरी संवेदना व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि सही समय पर कार्रवाई न होने के कारण यह tragedy हुई। क्या जिम्मेदारी लेने वाले होते तो क्या जान बचाई जा सकती थी? जानिए इस घटना के पीछे की सच्चाई।

Key Takeaways

  • न्याय के लिए संघर्ष का महत्व
  • सिस्टम की जवाबदेही
  • व्यक्तिगत जिम्मेदारी का महत्व
  • महत्वपूर्ण मुद्दों पर आवाज उठाने की जरूरत
  • किसी भी घटना की गंभीरता को समझना

भुवनेश्वर, 15 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री एवं विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष नवीन पटनायक ने बालासोर एफएम कॉलेज की छात्रा की मौत पर गहरा दुख और पीड़ा व्यक्त की है। छात्रा की मौत इलाज के दौरान एम्स में हुई। नवीन पटनायक ने परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि जिन लोगों के पास कार्रवाई करने की ताकत थी, उन्होंने पीड़िता की लगातार अपीलों के बावजूद चुप्पी साधे रखी, जिसके लिए उन्हें जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।

ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, "बालासोर की छात्रा के निधन की खबर सुनकर मैं बहुत दुखी और स्तब्ध हूं। महाप्रभु जगन्नाथ से प्रार्थना करता हूं कि वे शोक संतप्त परिवार को इस असहनीय पीड़ा को सहने की असीम शक्ति और साहस प्रदान करें।"

उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक ‘दुर्घटना’ नहीं, बल्कि एक बेपरवाह और मूक सिस्टम की देन है।

नवीन पटनायक ने लिखा, "सबसे ज्यादा विचलित करने वाली बात यह है कि एक बेजान और निष्क्रिय व्यवस्था ने एक युवा जीवन को निगल लिया। यह कोई दुर्भाग्यपूर्ण हादसा नहीं है, बल्कि एक ऐसी व्यवस्था की उपेक्षा का परिणाम है, जिसने मदद करने की बजाय पीठ फेर ली। लंबी और पीड़ादायक न्याय की लड़ाई के बाद उस बेटी ने हमेशा के लिए आंखें बंद कर लीं।"

बीजू जनता दल के प्रमुख पटनायक ने छात्रा की बहादुरी को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा, "छात्रा ने बहुत बहादुरी से कॉलेज के प्राचार्य को यौन उत्पीड़न की लिखित शिकायत दी थी। जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो उसने उच्च शिक्षा मंत्री, मुख्यमंत्री कार्यालय और एक केंद्रीय मंत्री तक को पत्र लिखा। यहां तक कि बालासोर के स्थानीय सांसद से व्यक्तिगत रूप से मिलकर न्याय की मांग की।"

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, "अगर सिर्फ एक भी व्यक्ति ने व्यक्तिगत जिम्मेदारी ली होती और व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप किया होता तो उसकी जान बचाई जा सकती थी। उसकी मौत सिर्फ शारीरिक चोटों से नहीं, बल्कि राज्य सरकार की उदासीनता के कारण हुई, जिसने उसे अपने संघर्ष में अकेला छोड़ दिया। पूरा घटनाक्रम दर्शाता है कि यह संस्थागत विश्वासघात से कम नहीं है, जो एक सुनियोजित अन्याय है।"

नवीन पटनायक ने ओडिशा के माननीय राज्यपाल से अपील की कि कॉलेज प्रशासन ही नहीं, बल्कि वे सभी लोग जिन्होंने पीड़िता की गुहार को नजरअंदाज किया, उन्हें भी जवाबदेह ठहराया जाए।

उन्होंने आखिर में लिखा, "ईश्वर उसकी आत्मा को शांति दे। मैं एक बार फिर महाप्रभु जगन्नाथ से प्रार्थना करता हूं कि वे उसके परिवार को इस गहरे दुख को सहने की शक्ति प्रदान करें।"

Point of View

वहीं दूसरी तरफ उसे निराशा ही मिली। यह एक अवसर है कि हम सभी को अपने आसपास की व्यवस्थाओं की संवेदनशीलता और जवाबदेही पर सवाल उठाने की जरूरत है।
NationPress
19/07/2025

Frequently Asked Questions

बालासोर कॉलेज की छात्रा की मौत के कारण क्या थे?
छात्रा की मौत का मुख्य कारण चिकित्सा उपचार में देरी और प्रशासन की लापरवाही थी।
नवीन पटनायक ने इस मामले में क्या कहा?
उन्होंने कहा कि यह एक बेपरवाह सिस्टम की देन है और जिम्मेदारी न लेने वाले लोगों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।