क्या ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ ने 25 साल पूरे नहीं किए? स्मृति ईरानी और एकता कपूर ने खुशी जताई

सारांश
Key Takeaways
- 25 साल का सफर पूरा करने वाला शो
- परिवार और रिश्तों की महत्वपूर्ण कहानियाँ
- स्मृति ईरानी और एकता कपूर की यादें
- टेलीविजन में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाला धारावाहिक
- शो का संस्कृतिक प्रभाव
मुंबई, 3 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। प्रसिद्ध टेलीविजन शो ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ ने अपने 25 साल पूरे कर लिए हैं। 3 जुलाई, 2000 को इसकी शुरुआत हुई थी, और यह हर भारतीय घर का अभिन्न हिस्सा बन गया। इस अवसर पर अभिनेत्री और अब राजनेता बनीं स्मृति ईरानी और निर्माता एकता कपूर ने अपनी खुशी व्यक्त की।
इस शो ने टेलीविजन उद्योग में क्रांतिकारी बदलाव लाए, और छोटे पर्दे पर ‘सास-बहू’ की कहानियों की शुरुआत की।
इस विशेष अवसर पर स्मृति ईरानी ने कहा, “यह शो सिर्फ एक धारावाहिक नहीं, बल्कि एक खूबसूरत याद है। इसे बनाने वालों और इसे प्यार देने वाले लाखों दर्शकों के लिए यह परिवार, विश्वास और पीढ़ियों को जोड़ने वाली कहानी थी। 25 साल बाद भी यह हमारे दिलों में जिंदा है। मैं उन सभी की आभारी हूं, जिन्होंने इस सफर को संभव बनाया।”
शो में महत्वपूर्ण किरदार निभाने वाले अभिनेता अमर उपाध्याय ने कहा, “25 साल पहले शुरू हुआ यह सफर सिर्फ एक शो नहीं था, बल्कि लाखों घरों का आईना था। यह परंपराओं, प्यार, चुनौतियों और बदलते भारतीय परिवारों की कहानी थी। इस शो का हिस्सा होना मेरे लिए एक जिम्मेदारी और सम्मान की बात रही। इसने न सिर्फ हमारी जिंदगी बदली, बल्कि टेलीविजन इतिहास को नए तरीके से गढ़ा। यह रिश्तों, संघर्ष और बदलाव की कहानी को दिखाता है।”
निर्माता एकता कपूर ने कहा, “यह शो मेरे दिल में आज भी जिंदा है। हमने कभी नहीं सोचा था कि 'तुलसी' लाखों लोगों के लिए परिवार का हिस्सा बन जाएगी। शो का टाइटल ट्रैक, भावनाएं और कहानी आज भी लोगों को याद हैं। यह उपलब्धि हर लेखक, अभिनेता, क्रू मेंबर और दर्शकों की है, जिन्होंने इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाया। हमने सिर्फ एक शो नहीं बनाया, बल्कि एक ऐसा रिश्ता बनाया, जो 25 साल बाद भी घर जैसा लगता है।”
‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ को एकता कपूर की कंपनी बालाजी टेलीफिल्म्स ने बनाया था। इसकी कहानी की शुरुआत पं. आनंद गांधी ने लिखी थी, जिन्हें बाद में ‘शिप ऑफ थीसस’ जैसी फिल्म के लिए काफी प्रशंसा मिली। '...क्योंकि' शो को फिर से नए स्वरूप में पेश करने की चर्चा भी है।