क्या लद्दाख मुद्दे पर हो रही थी शांति से बातचीत, या कुछ नेता कर रहे थे साजिश?

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क्या लद्दाख मुद्दे पर हो रही थी शांति से बातचीत, या कुछ नेता कर रहे थे साजिश?

सारांश

लद्दाख में सोनम वांगचुक के अनशन के दौरान हुई हिंसा ने राजनीतिक माहौल को गर्मा दिया। प्रदर्शनकारियों ने भाजपा कार्यालय पर हमला किया, जबकि सरकार ने संवाद के प्रयासों की पुष्टि की। क्या यह केवल एक आंदोलन था या इसके पीछे कोई गहरी साजिश है?

Key Takeaways

  • लद्दाख के अनशन ने राजनीतिक उथल-पुथल को जन्म दिया।
  • सरकार ने संवाद की प्रक्रिया को जारी रखा है।
  • प्रदर्शनकारियों ने हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया।
  • भड़काऊ भाषणों से स्थिति और बिगड़ गई।
  • शांति बनाए रखने की अपील की गई है।

नई दिल्ली, २४ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। लद्दाख में छठवीं अनुसूची और राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर सोनम वांगचुक द्वारा शुरू किया गया अनशन बुधवार को अचानक विवाद का रूप ले लिया। जब प्रदर्शनकारियों की भीड़ ने भाजपा के पार्टी कार्यालय और लेह के मुख्य कार्यकारी पार्षद कार्यालय पर हमला कर दिया और आग लगा दी।

सरकार के बयान के अनुसार, वांगचुक ने १० सितंबर २०२५ से अनशन शुरू किया था। सरकार का कहना है कि लद्दाख की मांगों को लेकर केंद्र सरकार लगातार एपेक्स बॉडी लेह और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के साथ संवाद में रही है। इसके लिए हाई-पावर्ड कमेटी (एचपीसी) और सब-कमेटी के माध्यम से औपचारिक बातचीत और कई अनौपचारिक बैठकें हो चुकी हैं।

सरकार ने बताया कि इस संवाद प्रक्रिया के तहत अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के लिए आरक्षण ४५ प्रतिशत से बढ़ाकर ८४ प्रतिशत करना, स्थानीय परिषदों में महिलाओं को १/३ आरक्षण देना और भोटी और पुर्गी भाषाओं को राजकीय भाषा का दर्जा देने जैसी बातें सामने आई। इसके साथ ही १,८०० पदों पर भर्ती प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।

सरकार ने कहा कि ये सभी कदम लद्दाख के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए उठाए गए हैं।

सरकारी बयान में कहा गया है कि कुछ राजनीतिक रूप से प्रेरित व्यक्ति एचपीसी के अंतर्गत हुई प्रगति से संतुष्ट नहीं हैं और वे इस प्रक्रिया को विफल करने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं, एचपीसी की अगली बैठक ६ अक्टूबर को तय की गई है, जबकि २५ और २६ सितंबर को भी नेताओं से मुलाकात की योजना बनाई गई है।

सरकार का आरोप है कि सोनम वांगचुक ने अपने अनशन के दौरान 'अरब स्प्रिंग' और 'नेपाल की जेनजी' जैसे उदाहरण देकर लोगों को भड़काया।

२४ सितंबर को सुबह ११:३० बजे, अनशन स्थल से भीड़ निकलकर एक राजनीतिक दल के कार्यालय और सरकारी दफ्तर पर टूट पड़ी। कार्यालयों में आग लगाई, पुलिस वाहनों को जलाया गया और ३० से ज्यादा पुलिस एवं सीआरपीएफ कर्मी घायल हुए।

पुलिस को आत्मरक्षा में फायरिंग करनी पड़ी, जिसमें कुछ जानमाल की हानि भी हुई है। हालात को शाम ४ बजे तक नियंत्रण में ले लिया गया।

सरकार ने कहा कि जब यह हिंसक घटनाएं हो रही थीं, उसी दौरान सोनम वांगचुक ने चुपचाप अनशन तोड़ दिया और एम्बुलेंस से अपने गांव रवाना हो गए, लेकिन उन्होंने हालात को शांत करने की कोई गंभीर कोशिश नहीं की।

सरकार ने लोगों से अपील की है कि वे सोशल मीडिया पर पुराने या भड़काऊ वीडियो शेयर न करें और शांति बनाए रखें.

Point of View

यह महत्वपूर्ण है कि हम इस मुद्दे को न केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से देखें, बल्कि लद्दाख के लोगों की आकांक्षाओं और उनकी भलाई को भी प्राथमिकता दें। सरकार की कोशिशें महत्वपूर्ण हैं, लेकिन हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हर आवाज को सुना जाए।
NationPress
24/09/2025

Frequently Asked Questions

लद्दाख में क्या हो रहा है?
सोनम वांगचुक के अनशन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने सरकारी कार्यालयों पर हमला किया है।
सरकार की प्रतिक्रिया क्या थी?
सरकार ने कहा है कि वे संवाद की प्रक्रिया में हैं और शांति बनाए रखने का प्रयास कर रहे हैं।
क्या वांगचुक ने शांति की कोशिश की?
सरकार का कहना है कि वांगचुक ने अनशन तोड़ने के बाद हालात को शांत करने की कोई गंभीर कोशिश नहीं की।