क्या बिहार: जीविका समूह ने ललिता देवी की जिंदगी को बदल दिया?

सारांश
Key Takeaways
- जीविका समूह ने ललिता देवी को आत्मनिर्भर बनाया।
- सरकारी योजनाओं का सही लाभ कैसे उठाया जा सकता है।
- सामुदायिक सहयोग से जीवन में बदलाव संभव है।
- आर्थिक सहायता से छोटे व्यवसाय की शुरुआत कैसे की जा सकती है।
- पढ़ाई और बच्चों का भविष्य सुधारने के लिए सहारा।
जमुई, 9 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के जमुई जिले के सदर प्रखंड अंतर्गत सिकरिया गांव के महादलित टोले की निवासी ललिता देवी की कहानी एक प्रेरणादायक उदाहरण है। पहले गरीबी और अभावों से जूझने वाली ललिता की जिंदगी में सरकारी योजनाओं ने नई रोशनी भरी है।
पति की मृत्यु के बाद उनके लिए पांच बच्चों की जिम्मेदारी उठाना कठिन हो गया था। न तो पक्का मकान था और न ही स्थायी आय का कोई स्रोत। कभी-कभार मिलने वाली मजदूरी से परिवार का गुजारा मुश्किल था, और उसकी आमदनी भी अनिश्चित थी।
जीविका समूह ने ललिता देवी को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने कहा कि जीविका दीदियों के सहयोग से हमने एक छोटी-सी किराने की दुकान खोली, जिससे हम परिवार का पालन-पोषण कर रहे हैं। शुरुआत में चुनौतियाँ थीं, लेकिन जीविका समूह से मिले प्रशिक्षण और आर्थिक मदद ने हमें दुकान चलाने का आत्मविश्वास दिया। आज हमें हर महीने लगभग आठ हजार रुपये की आय हो रही है। अब मैं न केवल बच्चों का पालन-पोषण कर रही हूँ बल्कि उनकी पढ़ाई का खर्च भी उठा रही हूँ।
उन्होंने आगे कहा कि पहले बारिश, गर्मी, और सर्दी में बच्चों के साथ खुले आसमान के नीचे या झोपड़ी में दिन बिताने पड़ते थे। बच्चों की पढ़ाई और भोजन का खर्च उठाना असंभव-सा लगता था। लेकिन केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं ने हमारे जीवन को बदल दिया है। हमें पीएम मोदी की योजनाओं का लाभ मिला है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत हमें पक्का मकान मिला है, जिससे अब हम मौसम की मार नहीं झेलते। अब हम अपने बच्चों के साथ गरिमा के साथ जीवन जी रहे हैं।
ललिता देवी भावुक होकर कहती हैं, “पहले तो मैं सोचती थी कि जिंदगी बस ऐसे ही कट जाएगी। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आवास योजना और जीविका दीदियों की मदद से आज हम चैन से रह रहे हैं। अब बारिश में छत नहीं टपकती और बच्चों को भूखा नहीं सोना पड़ता। हम पीएम मोदी का धन्यवाद करते हैं और उनसे अपील करते हैं कि वो गरीबों का ख्याल ऐसे ही रखें।”