क्या मां काली के पैरों के नीचे भगवान शिव को दिखाना सिर्फ पौराणिक कथा है?

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क्या मां काली के पैरों के नीचे भगवान शिव को दिखाना सिर्फ पौराणिक कथा है?

सारांश

मां काली और भगवान शिव की पौराणिक कथा न केवल धार्मिक है, बल्कि इसमें गहरा दार्शनिक संदेश भी छिपा है। यह कथा बताती है कि जीवन में ऊर्जा और संतुलन का महत्व क्या है। जानिए इस अद्भुत कथा के पीछे का रहस्य।

Key Takeaways

  • शक्ति और शांत मन का संतुलन आवश्यक है।
  • मां काली और भगवान शिव का संबंध सृष्टि के लिए महत्वपूर्ण है।
  • क्रोध को नियंत्रित करने की आवश्यकता होती है।
  • शक्ति बिना शिव व्यर्थ है।
  • शिव बिना शक्ति निष्क्रिय होते हैं।

नई दिल्ली, 14 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। मां काली के चरणों के नीचे भगवान शिव को दर्शाना केवल एक पौराणिक कथा नहीं है, बल्कि इसमें एक गहरी कहानी और दार्शनिक महत्व छिपा हुआ है। यह कथा राक्षस रक्तबीज के वध से जुड़ी हुई है।

कहा जाता है कि रक्तबीज के शरीर से गिरने वाली हर एक बूंद से एक नया रक्तबीज उत्पन्न होता था। उसके आतंक से तीनों लोक त्रस्त हो गए थे। जब देवताओं ने मां दुर्गा से प्रार्थना की, तब उन्होंने काला वर्ण, प्रचंड शक्ति और विनाशकारी तेज से भरा हुआ महाकाली का रूप धारण किया। मां काली ने युद्ध में उतरकर राक्षसों का नाश करना प्रारंभ किया और रक्तबीज के रक्त को ज़मीन पर गिरने से पहले ही पी जाती थीं ताकि कोई नया रक्तबीज उत्पन्न न हो सके।

राक्षसों का वध करते-करते मां काली का क्रोध इतना बढ़ गया कि उनका विनाशकारी रूप पूरे संसार के लिए खतरा बन गया। उनका रौद्र रूप इतना प्रचंड हो गया कि देवताओं को समझ नहीं आया कि उन्हें कैसे शांत किया जाए। सभी देवी-देवताओं ने भगवान शिव से सहायता मांगी। शिवजी को पता था कि यदि मां काली इसी रूप में आगे बढ़ती रहीं, तो पूरा सृष्टि चक्र ही खतरे में पड़ सकता है। इसलिए वह चुपचाप मां काली के मार्ग में लेट गए।

जब क्रोध में चूर मां काली आगे बढ़ रही थीं, तभी उनका पैर अनजाने में भगवान शिव की छाती पर पड़ गया। जैसे ही उन्हें एहसास हुआ कि उन्होंने अपने प्रिय पति पर पैर रख दिया, काली जी का क्रोध तुरंत शांत हो गया। उनके चेहरे पर शर्म, पश्चात्ताप और भावुकता आ गई। उसी क्षण उनका विनाशकारी रूप शांत हो गया और वे अपने सौम्य स्वरूप में लौट आईं।

इस दृश्य का दार्शनिक महत्व भी अद्भुत है। यहां काली ऊर्जा, गति, क्रिया यानी शक्ति का प्रतीक हैं, जबकि शिव स्थिरता, शांति और चेतना यानी शिव तत्व का प्रतिनिधित्व करते हैं। हिंदू दर्शन कहता है कि शक्ति बिना शिव व्यर्थ है और शिव बिना शक्ति निष्क्रिय। जब ऊर्जा (काली) नियंत्रण से बाहर हो जाए, तो उसे संतुलित करने के लिए स्थिर चेतना (शिव) की जरूरत होती है। काली का शिव पर खड़े होना यह बताता है कि शक्ति की हर क्रिया का आधार शिव यानी शुद्ध चेतना ही होती है।

यह दृश्य केवल एक धार्मिक कथा नहीं है, बल्कि यह सिखाता है कि जीवन में ऊर्जा और शांत मन दोनों का संतुलन आवश्यक है। शक्ति बिना शिव विनाश कर सकती है और शिव बिना शक्ति कोई काम शुरू नहीं कर सकते। यही दोनों के मिलन में सृष्टि का संतुलन है।

Point of View

बल्कि यह जीवन में ऊर्जा और संतुलन के महत्व पर भी प्रकाश डालती है। इस दृष्टिकोण से यह समझना आवश्यक है कि हमारे समाज में शक्ति और स्थिरता का क्या महत्व है।
NationPress
14/11/2025

Frequently Asked Questions

मां काली और भगवान शिव का संबंध क्या है?
मां काली शक्ति और क्रिया का प्रतीक हैं, जबकि भगवान शिव स्थिरता और चेतना के प्रतिनिधि हैं। उनका संबंध सृष्टि के संतुलन को दर्शाता है।
क्या मां काली का क्रोध खतरनाक होता है?
हां, मां काली का क्रोध विनाशकारी हो सकता है, लेकिन शिव के शांत स्वरूप के माध्यम से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
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