क्या मध्य प्रदेश के बीईओ ऑफिस से 20 करोड़ की हेराफेरी मामले में ईडी की कार्रवाई हुई है?

सारांश
Key Takeaways
- ईडी ने 20 करोड़ की हेराफेरी के मामले में कार्रवाई की।
- 14 अचल संपत्तियां जब्त की गईं हैं।
- मुख्य आरोपी कमल राठौर को गिरफ्तार किया गया।
- फर्जी बिलों के माध्यम से बड़ी मात्रा में धन हेरफेर हुआ।
- जांच जारी है और अन्य संपत्तियों की पहचान की जा रही है।
इंदौर, 20 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश में ब्लॉक एजुकेशन ऑफिस (बीईओ) से 20 करोड़ रुपए की हेराफेरी के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने महत्वपूर्ण कार्रवाई की। इंदौर सब जोनल ऑफिस ने मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत 4.5 करोड़ रुपए की 14 अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से जब्त किया।
यह कार्रवाई कमल राठौर और अन्य आरोपियों द्वारा बीईओ, कट्ठीवाड़ा, जिला अलीराजपुर, मध्य प्रदेश से फर्जी बिलों के माध्यम से सरकारी फंड की हेरफेर और दुरुपयोग के मामले में की गई है।
कट्ठीवाड़ा की पुलिस ने बीईओ ऑफिस के अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। इसके आधार पर ईडी ने अपनी जांच शुरू की। जांच में पता चला कि 2018-2023 के बीच इंटीग्रेटेड फाइनेंशियल मैनेजमेंट सिस्टम (आईएफएमएस) पर बनाए और स्वीकृत फर्जी बिलों के माध्यम से सरकारी फंड की बड़े पैमाने पर हेरफेर की गई।
इससे पहले इस मामले में पीएमएलए, 2002 की धारा 17 के तहत तलाशी अभियान चलाया गया था, जिसमें कई आपत्तिजनक रिकॉर्ड और लाखों रुपए जब्त किए गए थे। मुख्य आरोपी कमल राठौर को ईडी ने 7 अगस्त 2025 को गिरफ्तार किया था और वह वर्तमान में न्यायिक हिरासत में है।
ईडी की जांच में पता चला कि 917 फर्जी बिलों के माध्यम से 20.47 करोड़ रुपए की राशि 134 बैंक खातों में ट्रांसफर की गई थी। आरोपियों ने बड़ी रकम नकद निकालकर रिश्तेदारों को पैसे ट्रांसफर करके और अलीराजपुर एवं पन्ना में कई संपत्तियों में निवेश करके इस पैसे को मनी लॉन्ड्रिंग किया। बाद में परिवार के सदस्यों के नाम पर खरीदी गई कई संपत्तियों को बेच दिया गया, ताकि पैसे के अवैध स्रोत को छिपाया जा सके।
अन्य संपत्तियों की पहचान करने और मनी ट्रेल का पता लगाने के लिए आगे की जांच जारी है।