क्या मध्य प्रदेश में सीएम मोहन यादव के निर्देश पर 900 वन्यप्राणियों का पुनर्वास संभव हुआ?

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क्या मध्य प्रदेश में सीएम मोहन यादव के निर्देश पर 900 वन्यप्राणियों का पुनर्वास संभव हुआ?

सारांश

मध्य प्रदेश में हेलीकॉप्टर और बोमा तकनीक का उपयोग करके 900 से अधिक वन्य प्राणियों का पुनर्वास किया गया है। यह अभियान न केवल वन्य जीवों के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि किसानों की फसलों को भी सुरक्षा प्रदान करता है। जानिए इस अभियान के बारे में और भी खास बातें।

Key Takeaways

  • हेलीकॉप्टर और बोमा तकनीक का उपयोग करके 900 से अधिक वन्य प्राणियों का पुनर्वास किया गया।
  • कृषि फसलों को नुकसान से बचाने के लिए यह अभियान महत्वपूर्ण है।
  • दक्षिण अफ्रीका के विशेषज्ञों की सहायता से यह अभियान संचालित किया गया।
  • वन्य जीवों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई।
  • भविष्य में अन्य जिलों में भी इस प्रकार के अभियानों का संचालन किया जाएगा।

भोपाल, 4 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में वन्य प्राणी किसानों के लिए समस्या बने हुए हैं। इन वन्य प्राणियों के पुनर्वास के लिए हेलीकॉप्टर और बोमा तकनीक का उपयोग करते हुए 900 से अधिक वन्य प्राणियों का पुनर्वास किया गया। राज्य के किसानों की फसलों को नुकसान से बचाने के लिए शाजापुर, उज्जैन और आसपास के इलाकों में इस तकनीक का सफल प्रयोग किया गया।

कृष्णमृगों और नीलगायों के लिए यह प्रयोग सफल रहा। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इसे वन्य जीव संरक्षण और किसानों की सुरक्षा के लिए एक ऐतिहासिक कदम बताया। मध्य प्रदेश में हम ऐसा संतुलन स्थापित करना चाहते हैं जहां प्रकृति, वन्य जीव और किसान तीनों सामंजस्य के साथ आगे बढ़ें। इस अभियान में दक्षिण अफ्रीका की ‘कंजरवेशन सॉल्यूशंस’ कंपनी के 15 विशेषज्ञों ने सहभागिता की। उन्होंने प्रदेश में वन विभाग की टीम को प्रशिक्षित किया और उनके सहयोग से 10 दिन तक लगातार अभियान चलाया गया।

अभियान में रॉबिन्सन-44 हेलीकॉप्टर का उपयोग किया गया। इसे इस प्रकार के अभियानों के लिए उपयुक्त माना जाता है। हेलीकॉप्टर से पहले खेतों और खुले क्षेत्रों में वन्य जीवों की लोकेशन का सर्वे किया गया। इसके बाद बोमा बनाया गया। हेलीकॉप्टर की सहायता से धीरे-धीरे जानवरों को एक फनल आकार की बाड़े में सुरक्षित रूप से प्रवेश कराया गया, जो घास और हरे जाल से ढंकी थी। बोमा में आए वन्य जीवों को वाहनों द्वारा सुरक्षित रूप से अभयारण्य तक पहुंचाया गया।

अभियान में अनुभवी दक्षिण अफ्रीकी पायलट के साथ भारतीय पायलट भी शामिल थे। इस अभियान में कुल 913 वन्य जीवों को सफलतापूर्वक पकड़कर पुनर्वास किया गया। इनमें 846 कृष्णमृग और 67 नीलगाय शामिल हैं। सभी नीलगायों को गांधीसागर अभयारण्य के 64 वर्ग किलोमीटर के विशाल क्षेत्र में छोड़ा गया जबकि कृष्णमृगों को गांधीसागर, कूनो और नौंरादेही अभयारण्यों में पुनर्स्थापित किया गया। अभियान में वन्य जीवों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई।

सभी वन्य जीव अब अपने नए आवासों में स्वतंत्र रूप से विचरण कर रहे हैं। अभियान के अंतिम दिन भी 142 कृष्णमृग पकड़े गए। वन विभाग ने वन्य जीवों के पुनर्वास के लिए एक विशेष प्रशिक्षित दल तैयार किया है, जो दक्षिण अफ्रीकी विशेषज्ञों के साथ प्रशिक्षण प्राप्त कर चुका है।

यह दल भविष्य में राज्य के अन्य जिलों में भी इस प्रकार के कैप्चर ऑपरेशन्स संचालित करेगा। जिला प्रशासन और ग्रामीण समुदाय ने इस अभियान में सक्रिय सहभागिता की। अभियान के दौरान यह स्पष्ट रूप से देखा गया कि इस तकनीक से किसी भी वन्य जीव को बेहोश (ट्रैंक्युलाइज) करने की आवश्यकता नहीं पड़ी। इस प्रकार, वन्य जीवों को पकड़ने की पूरी प्रक्रिया और अधिक सुरक्षित और प्राकृतिक रही।

Point of View

जो वन्य जीव संरक्षण और किसानों की सुरक्षा के लिए एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करता है। यह न केवल स्थानीय समुदायों के लिए फायदेमंद है, बल्कि प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने में भी सहायक है।
NationPress
04/11/2025

Frequently Asked Questions

क्या इस अभियान से सभी वन्य प्राणियों को पुनर्वास किया गया?
जी हां, इस अभियान में कुल 913 वन्य जीवों को सुरक्षित रूप से पुनर्वास किया गया।
बोमा तकनीक क्या है?
बोमा तकनीक एक विशेष प्रकार की बाड़ होती है, जो वन्य जीवों को सुरक्षित रूप से पकड़ने और स्थानांतरित करने में मदद करती है।
इस अभियान में कितने विशेषज्ञ शामिल थे?
इस अभियान में दक्षिण अफ्रीका की 'कंजरवेशन सॉल्यूशंस' कंपनी के 15 विशेषज्ञ शामिल थे।
वन्य प्राणियों के लिए सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की गई?
इस अभियान में वन्य जीवों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई, जिससे उन्हें बेहोश करने की आवश्यकता नहीं पड़ी।
इस अभियान का उद्देश्य क्या था?
इस अभियान का मुख्य उद्देश्य किसानों की फसलों को नुकसान से बचाना और वन्य जीवों का संरक्षण करना था।