क्या मध्य प्रदेश में आयोगों की निष्क्रियता से सामाजिक न्याय पर आक्षेप हो रहा है? : उमंग सिंघार

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क्या मध्य प्रदेश में आयोगों की निष्क्रियता से सामाजिक न्याय पर आक्षेप हो रहा है? : उमंग सिंघार

सारांश

क्या मध्य प्रदेश के आयोगों की निष्क्रियता से सामाजिक न्याय पर खतरा मंडरा रहा है? नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने इस गंभीर मुद्दे को उठाया है। जानिए इस पर उनका क्या कहना है।

Key Takeaways

  • आयोगों की निष्क्रियता सामाजिक न्याय पर खतरा है।
  • भाजपा सरकार के कार्यकाल में आयोगों की स्थिति बिगड़ी है।
  • सिर्फ तीन आयोगों में अध्यक्ष नियुक्त हैं।
  • आयोगों का कार्य सामाजिक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
  • विद्यमान आयोगों की नियुक्तियों में कमी चिंता का विषय है।

भोपाल, 16 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने विभिन्न आयोगों की निष्क्रियता पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा है कि यह स्थिति सामाजिक न्याय पर एक गहरा आघात है।

उन्होंने राज्य सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि समाज के कमजोर वर्गों के अधिकारों की रक्षा और उनके उत्पीड़न को रोकने के लिए प्रदेश में कई आयोग स्थापित किए गए थे, जो भाजपा के शासन में 2016-17 से निष्क्रिय हो चुके हैं।

सिंघार ने कहा कि राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग, राज्य अनुसूचित जाति आयोग, राज्य महिला आयोग, राज्य अल्पसंख्यक आयोग, बाल अधिकार संरक्षण आयोग, मानव अधिकार आयोग, सूचना आयोग जैसे आयोग अब निष्क्रिय हो चुके हैं। इन आयोगों में नियुक्तियां नहीं की जा रही हैं।

उन्होंने बताया कि ये आयोग एक कोर्ट की तरह कार्य करते हैं, जिनके पास सिविल कोर्ट की शक्तियाँ होती हैं। ये शिकायतों को सुनते हैं और बिना किसी खर्च के उनका निपटारा करते हैं। आयोग में एक अध्यक्ष होता है और उसके पांच सदस्य होते हैं। ये विभिन्न विभागों की शिकायतों की जांच कर सकते हैं, शिकायतकर्ता को सहायता देते हैं और सरकार को आदेशित करते हैं।

सिंघार ने कहा कि भाजपा सरकार ने इन आयोगों को पूरी तरह से निष्क्रिय कर दिया है, जो सामाजिक न्याय के लिए एक गंभीर खतरा है। आयोगों की स्थिति इतनी दयनीय है कि ये न तो पीड़ितों की आवाज सुन पा रहे हैं और न ही उनके लिए कोई ठोस कार्रवाई कर पा रहे हैं। राज्य के कुल आठ प्रमुख आयोगों में से केवल पिछड़ा वर्ग आयोग, सूचना आयोग और मानवाधिकार आयोग में ही अध्यक्ष नियुक्त हैं, जबकि शेष पांच आयोग वर्षों से बिना अध्यक्ष और सदस्यों के काम कर रहे हैं। यह स्थिति एक बिना न्यायाधीश के न्यायालय की तरह है।

Point of View

हमें यह ध्यान में रखना चाहिए कि आयोगों की निष्क्रियता केवल एक राज्य की समस्या नहीं है, बल्कि यह पूरे देश में सामाजिक न्याय को प्रभावित कर रही है। सभी वर्गों के अधिकारों की रक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है।
NationPress
04/08/2025

Frequently Asked Questions

मध्य प्रदेश में आयोगों की निष्क्रियता का क्या कारण है?
आयोगों की निष्क्रियता का मुख्य कारण सरकार की अनदेखी और नियुक्तियों की कमी है।
इन आयोगों की भूमिका क्या है?
ये आयोग शिकायतों का निपटारा करते हैं और समाज के कमजोर वर्गों के अधिकारों की रक्षा करते हैं।
क्या आयोगों की निष्क्रियता से सामाजिक न्याय प्रभावित होता है?
हाँ, आयोगों की निष्क्रियता से पीड़ितों की आवाज दब जाती है और उनके लिए न्याय पाना मुश्किल हो जाता है।