क्या मध्य प्रदेश में बुवाई के समय किसानों को नहीं मिल रहा है खाद?

सारांश
Key Takeaways
- खाद की समस्या बढ़ रही है।
- किसानों को टोकन के बावजूद खाद नहीं मिल रहा।
- सरकार को सख्त कदम उठाने की जरूरत है।
- कालाबाजारी के खिलाफ किसानों का संघर्ष जारी है।
- आपूर्ति में पारदर्शिता की कमी है।
भोपाल, 22 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश में खाद की समस्या दिन पर दिन गंभीर होती जा रही है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि बुवाई के समय किसानों को खाद नहीं मिल पा रही है।
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष पटवारी ने कहा कि कई जिलों में बुवाई के सीजन के दौरान किसानों को खाद की कमी का सामना करना पड़ रहा है। किसान सुबह चार बजे से खाद वितरण केंद्रों पर लंबी कतारों में खड़े हैं, लेकिन उन्हें चार-पांच बोरी खाद भी नहीं मिल रही है। प्रशासन केवल टोकन बांटने तक सीमित है, जबकि जमीनी हकीकत में खाद की उपलब्धता लगभग शून्य है।
पटवारी ने कई जिलों में खाद की भारी किल्लत का उल्लेख करते हुए कहा कि धार, सीहोर, गुना, रहली, मुरैना, बड़वानी जैसे जिलों में किसानों ने प्रशासन और व्यापारियों के बीच हो रही कालाबाजारी के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किए हैं।
उन्होंने कहा कि किसानों ने भैरूंदा-सीहोर रोड को जाम किया, कृषि मंडियों में लंबी लाइनें लगीं और सागर के रहली में किसानों को टोकन के बावजूद खाद नहीं मिला। बडवानी और खंडवा में खाद की तस्करी के मामले भी सामने आए हैं, जिससे किसानों का गुस्सा सरकार पर फूट पड़ा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि यह खाद का संकट कोई नया नहीं है, बल्कि पिछले पांच वर्षों से हर खरीफ और रबी सीजन में यही स्थिति बनी हुई है।
किसान कभी आपूर्ति कम होने की वजह से भटकते हैं, कभी प्रशासन की अनदेखी के शिकार होते हैं और कभी कालाबाजारी के खिलाफ आवाज उठाते हैं। उन्होंने 2024 में अंतरराष्ट्रीय सप्लाई चेन में बाधा के कारण डीएपी की उपलब्धता में 25 प्रतिशत की गिरावट का हवाला देते हुए कहा कि इस साल भी जून-जुलाई के पीक सीजन में किसानों को पर्याप्त खाद नहीं मिल पाया।
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष पटवारी ने राज्य सरकार से पूछा है कि आखिरकार किसानों को हर साल सिर्फ वादे और टोकन ही क्यों मिलते हैं, वास्तविक राहत और आपूर्ति कब दी जाएगी? उन्होंने आरोप लगाया कि सप्लाई चेन में पारदर्शिता की कमी है और कालाबाजारी पर सख्त कार्रवाई नहीं हो रही है। जरूरतमंद किसानों तक खाद पहुंचाने में प्रशासन लगातार नाकाम रहा है। सरकार को इस गंभीर संकट का स्पष्ट जवाब देना चाहिए और ठोस कदम उठाते हुए खाद की उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए, वरना प्रदेश के लाखों किसानों का भविष्य संकट में पड़ सकता है।