क्या मद्रास हाई कोर्ट का फैसला विदेशी आयुर्वेदिक दवाओं के आयात के लिए लाइसेंस अनिवार्य बनाता है?

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क्या मद्रास हाई कोर्ट का फैसला विदेशी आयुर्वेदिक दवाओं के आयात के लिए लाइसेंस अनिवार्य बनाता है?

सारांश

मद्रास हाई कोर्ट का हालिया फैसला विदेशी आयुर्वेदिक दवाओं के आयात पर नया पहलू पेश करता है। अब, आयातित उत्पादों के लिए लाइसेंस लेना अनिवार्य होगा। यह निर्णय औषधि और उत्पादों के नियमों को सुधारने की आवश्यकता को भी उजागर करता है। जानिए इस फैसले के पीछे क्या वजह है और इसका क्या असर होगा।

Key Takeaways

  • विदेशी आयुर्वेदिक दवाओं के आयात के लिए लाइसेंस अनिवार्य होगा।
  • मद्रास हाई कोर्ट ने कस्टम नियमों को सख्त किया है।
  • आयुर्वेदिक उत्पादों के लिए औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम लागू होता है।
  • कोर्ट ने मौजूदा नियमों को संशोधित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
  • उपभोक्ताओं की सुरक्षा और उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है।

चेन्नई, 5 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। मद्रास हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाते हुए स्पष्ट किया है कि विदेशों से आयुर्वेदिक दवाओं या उत्पादों का भारत में आयात करने के लिए आयात लाइसेंस आवश्यक होगा।

यह निर्णय एक मामले की सुनवाई के दौरान लिया गया, जिसमें सिंगापुर से आयात की जा रही एक आयुर्वेदिक दवा को कस्टम विभाग द्वारा रोका गया था।

यह मामला 'लेंग काई फूक मेडिकल कंपनी' (सिंगापुर) द्वारा निर्मित एक आयुर्वेदिक तेल ‘कोडलाई थाईलम’ से संबंधित है। यह तेल भारत में 'एक्सेन मार्केटिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड', जो चेन्नई के मंडैवेली में स्थित है, द्वारा आयात किया जा रहा था और यहां बेचा जा रहा था।

हाल ही में अरुंबक्कम स्थित राज्य प्राधिकरण ने 'एक्सेन' कंपनी को एक नोटिस भेजते हुए कहा कि कोडलई थैलम का आयात करने के लिए उनके पास वैध लाइसेंस होना आवश्यक है। इसके बाद, कस्टम अधिकारियों ने सिंगापुर से आई इस दवा की खेप को जब्त कर लिया।

इस कार्रवाई के विरोध में 'एक्सेन' कंपनी ने मद्रास हाई कोर्ट में याचिका दायर की और मांग की कि उनकी जब्त की गई दवा की खेप को छोड़ा जाए।

इस मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सेंथिलकुमार राममूर्ति ने सुप्रीम कोर्ट के एक पुराने फैसले का हवाला देते हुए कहा कि ‘कोडलाई थाईलम’ एक कस्टम टैरिफ श्रेणी के अंतर्गत आता है और यह एक आयुर्वेदिक दवा है, जो निरीक्षण के अधीन है।

उन्होंने यह भी बताया कि आयुर्वेदिक उत्पादों पर भी औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम लागू होता है, इसलिए सभी प्रकार की औषधियों के आयात के लिए लाइसेंस होना आवश्यक है।

अदालत ने यह भी माना कि आयुर्वेदिक दवाओं के लाइसेंस से संबंधित मौजूदा प्रक्रिया और नियम पुराने हो चुके हैं, और इन्हें समय के अनुसार संशोधित करने की आवश्यकता है। हालांकि, कोर्ट ने यह आदेश भी दिया कि याचिकाकर्ता की जो खेप फिलहाल रोकी गई है, उसे नियमों के अनुसार निरीक्षण कर रिहा किया जाए।

Point of View

बल्कि आयुर्वेदिक चिकित्सा के प्रति लोगों का विश्वास भी बढ़ाएगा। भारत में चिकित्सा उत्पादों की सुरक्षा और गुणवत्ता सुनिश्चित करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।
NationPress
21/07/2025

Frequently Asked Questions

क्या विदेशी आयुर्वेदिक दवाओं का आयात अब बिना लाइसेंस के संभव है?
नहीं, मद्रास हाई कोर्ट के फैसले के अनुसार, अब विदेशी आयुर्वेदिक दवाओं का आयात करने के लिए लाइसेंस लेना अनिवार्य है।
इस फैसले का आयुर्वेदिक उद्योग पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
यह फैसला आयुर्वेदिक उद्योग में गुणवत्ता और सुरक्षा को बढ़ाने में मदद करेगा, जिससे उपभोक्ताओं का विश्वास भी बढ़ेगा।