क्या महादेव का ऐसा धाम है जहां पूजा में तुलसी दल वर्जित नहीं?

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क्या महादेव का ऐसा धाम है जहां पूजा में तुलसी दल वर्जित नहीं?

सारांश

महादेव का एक अद्वितीय धाम ओडिशा में स्थित है, जहां पूजा में तुलसी दल का अर्पण किया जाता है। यह मंदिर लिंगराज के नाम से जाना जाता है और यहां महादेव के साथ भगवान विष्णु की भी पूजा होती है।

Key Takeaways

  • लिंगराज मंदिर ओडिशा में स्थित है।
  • यह मंदिर तुलसी दल अर्पित करने वाला अद्वितीय स्थान है।
  • मंदिर का प्रांगण 150 मंदिरों से भरा हुआ है।
  • यह मंदिर शैव और वैष्णव का संगम है।
  • लिंगराज मंदिर को 1984 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता मिली।

नई दिल्ली, 16 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। सावन का पावन महीना आ रहा है। इस समय महादेव का आशीर्वाद पाने के लिए भक्तों की लंबी कतारें शिवालयों में लग रही हैं। ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा जाने वाले प्रमुख धामों में भी भक्तों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है।

इस पावन महीने में हम आपको एक ऐसे धाम के बारे में बताएंगे जिसे ज्योतिर्लिंगों के राजा के रूप में पूजा जाता है। यह दुनिया का एकमात्र मंदिर है, जहां महादेव को तुलसी दल अर्पित किया जाता है।

महादेव की पूजा में तुलसी दल का उपयोग वर्जित है, लेकिन यह एक ऐसा मंदिर है जहां महादेव को तुलसी का दल भोग में अर्पित किया जाता है। यह मंदिर ओडिशा में स्थित है और इसे भगवान लिंगराज का मंदिर कहा जाता है।

लिंगराज का अर्थ है 'लिंगम का राजा', जो कि द्वादश ज्योतिर्लिंगों का राजा है। यहां इनकी पूजा 'त्रिभुवनेश्वर' के नाम से भी होती है, और इसी से इस शहर का नाम भुवनेश्वर पड़ा। इस मंदिर का प्रांगण इतना विशाल है कि इसमें छोटे-बड़े 150 मंदिर हैं।

भुवनेश्वर, जिसे 'भारत का मंदिर शहर' भी कहा जाता है, का यह मंदिर सबसे बड़ा माना जाता है। इसकी स्थापना 10वीं और 11वीं शताब्दी के बीच होने की बात कही जाती है। यहां भगवान हरिहर लिंग रूप में विराजते हैं।

मंदिर में मरीची कुंड नामक एक छोटा सा कुआं भी है, जो संतान से जुड़ी परेशानियों में महिलाओं के लिए लाभकारी माना जाता है।

इस मंदिर का निर्माण सोमवंशी राजा ययाति प्रथम ने करवाया था। यह दुनिया का एकमात्र मंदिर है जहां भगवान शिव को बेलपत्र के साथ तुलसी दल भी अर्पित किया जाता है।

लिंगराज के रूप में विराजित शिवलिंग का आकार भी विशेष है। इसका व्यास 8 फुट और ऊंचाई 8 इंच है। इस मंदिर में गैर हिंदुओं का गर्भगृह में प्रवेश वर्जित है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस मंदिर का वर्णन ब्रह्म पुराण, स्कंद पुराण और कपिला संहिता में मिलता है। यह मंदिर शैव और वैष्णव के मिलन का प्रतीक है।

लिंगराज मंदिर के निकट प्रसिद्ध मुक्तेश्वर मंदिर, राजरानी मंदिर, अनंत वासुदेव मंदिर, ब्रह्मेश्वर मंदिर और परशुरामेश्वर मंदिर हैं। ये सभी मंदिर अपनी मनमोहक वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध हैं। लिंगराज मंदिर की ऊंचाई 180 फीट है, जो भगवान जगन्नाथ के मंदिर से भी अधिक है। इसे 1984 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता मिली है।

Point of View

बल्कि भारतीय संस्कृति के विविधता और समृद्धि का भी प्रतीक है।
NationPress
20/07/2025

Frequently Asked Questions

लिंगराज मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?
यह मंदिर महादेव को तुलसी दल अर्पित करने वाला एकमात्र स्थान है, जिससे इसकी विशिष्टता बढ़ती है।
इस मंदिर की स्थापना कब हुई थी?
लिंगराज मंदिर की स्थापना 10वीं और 11वीं शताब्दी के बीच हुई थी।
क्या यहां गैर हिंदुओं का प्रवेश वर्जित है?
जी हां, इस मंदिर के गर्भगृह में गैर हिंदुओं का प्रवेश वर्जित है।
मंदिर में मरीची कुंड का क्या महत्व है?
यहां स्नान करने से संतान से जुड़ी परेशानियों में राहत मिलती है।
लिंगराज का मतलब क्या है?
लिंगराज का अर्थ 'लिंगम का राजा' है।