क्या अहोई अष्टमी पर महादेव के इस मंदिर में संतान से जुड़ी हर बाधा दूर होती है?

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क्या अहोई अष्टमी पर महादेव के इस मंदिर में संतान से जुड़ी हर बाधा दूर होती है?

सारांश

अक्टूबर का महीना त्योहारों का है और इस दौरान महिलाएं संतान सुख के लिए अहोई अष्टमी का व्रत करती हैं। वाराणसी में एक ऐसा मंदिर है जो विशेष रूप से संतान की इच्छाओं को पूरा करने के लिए प्रसिद्ध है। जानिए इस मंदिर की विशेषताएँ और मान्यताएँ।

Key Takeaways

  • अहोई अष्टमी संतान सुख के लिए महत्वपूर्ण है।
  • वाराणसी के संतानेश्वर महादेव का मंदिर श्रद्धालुओं के लिए विशेष है।
  • भक्त इस मंदिर में बेलपत्र, दूध और दही अर्पित करते हैं।
  • मंदिर की पूजा विधि से सभी बाधाएँ दूर होती हैं।
  • यहाँ की मान्यता से भक्तों को आस्था और विश्वास मिलता है।

नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। अक्टूबर का महीना त्योहारों का महीना माना जाता है। इस माह में सभी प्रमुख त्योहार आते हैं। इस दौरान महिलाएं संतान की प्राप्ति और उनकी लंबी उम्र के लिए अहोई अष्टमी का व्रत करती हैं। इस वर्ष अहोई अष्टमी का व्रत 13 अक्टूबर को मनाया जाएगा। यह व्रत विशेष रूप से संतान के लिए समर्पित है। उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी वाराणसी, जिसे काशी के नाम से भी जाना जाता है, में महादेव का एक ऐसा मंदिर है जो संतान की इच्छा पूर्ति और उनकी दीर्घ आयु के लिए प्रख्यात है।

काशी, भगवान शिव की नगरी है, और यहाँ महादेव विभिन्न रूपों में पूजा जाते हैं। लेकिन संतान सुख की इच्छा रखने वाले दंपत्तियों के लिए यहाँ महादेव संतानेश्वर महादेव के रूप में स्थित हैं। यह मंदिर कालभैरव मंदिर के निकट है, जहाँ भक्त महादेव के अनोखे स्वरूप की पूजा करने आते हैं। माना जाता है कि यदि कोई संतान से वंचित है या अपनी संतान के जीवन में आने वाली बाधाओं को समाप्त करना चाहता है, तो इस मंदिर में सच्चे मन से पूजा करने से उनकी सभी इच्छाएँ पूरी होती हैं।

इस मंदिर की मान्यता इतनी प्रबल है कि देश के विभिन्न हिस्सों से भक्त संतान सुख पाने के लिए महादेव को दूध, दही और बेलपत्र अर्पित करने आते हैं। शिवरात्रि और हर सोमवार को श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्था की जाती है। इस मंदिर को फूलों से सजाकर बाबा का अभिषेक किया जाता है, और यहाँ महादेव को संतान दाता के रूप में पूजा जाता है।

मंदिर की स्थापना कब हुई और किसने की, इसके बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन प्राचीन मंदिरों के संबंध में कई कहानियाँ प्रचलित हैं। कहा जाता है कि एक दंपत्ति संतान सुख से वंचित था और उसने इसी स्थान पर बैठकर भगवान शिव की आराधना की थी। दंपत्ति की भक्ति से प्रसन्न होकर महादेव ने उन्हें पुत्र रत्न का वरदान दिया। तब से इस स्थान पर महादेव को संतानेश्वर महादेव के रूप में पूजा जाता है। भक्त अपनी संतानों की इच्छाओं के साथ महादेव के दर पर आते हैं और हर मनोकामना की पूर्ति का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

Point of View

और यह मंदिर उनके लिए आशा की किरण है। इससे यह भी पता चलता है कि हमारे देश में धार्मिक स्थलों का महत्व लोगों की ज़िंदगी में कितना गहरा है।
NationPress
09/10/2025

Frequently Asked Questions

अहोई अष्टमी कब मनाई जाती है?
अहोई अष्टमी इस वर्ष 13 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
वाराणसी में कौन सा मंदिर संतान सुख के लिए प्रसिद्ध है?
वाराणसी में संतानेश्वर महादेव का मंदिर संतान सुख के लिए प्रसिद्ध है।
इस मंदिर में क्या विशेष पूजा की जाती है?
इस मंदिर में भक्त दूध, दही और बेलपत्र अर्पित करते हैं।
इस मंदिर की मान्यता क्या है?
इस मंदिर की मान्यता है कि यहाँ सच्चे मन से पूजा करने से संतान से जुड़ी सभी बाधाएँ दूर होती हैं।
मंदिर की स्थापना कब हुई थी?
मंदिर की स्थापना के बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन इसके संबंध में कई प्राचीन कहानियाँ हैं।