क्या बिहार में दो-तिहाई बहुमत से महागठबंधन की सरकार बनेगी?: मोहम्मद जावेद

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क्या बिहार में दो-तिहाई बहुमत से महागठबंधन की सरकार बनेगी?: मोहम्मद जावेद

सारांश

बिहार विधानसभा चुनाव के पहले, महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर चर्चा तेज है। डॉ. मोहम्मद जावेद ने बताया कि सभी दल अधिक सीटें चाहते हैं लेकिन समझौता भी आवश्यक है। उन्होंने विश्वास जताया कि यह निर्णय बिहार के हित में होगा।

Key Takeaways

  • महागठबंधन में सीट बंटवारे की चर्चा जारी है।
  • समझौता सभी दलों के लिए आवश्यक है।
  • बिहार की जनता नीतीश-मोदी सरकार से त्रस्त है।
  • रोजगार के मुद्दे महत्वपूर्ण हैं।
  • महागठबंधन दो-तिहाई बहुमत की उम्मीद कर रहा है।

नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन में सीट बंटवारे पर चल रही चर्चाओं के बारे में कांग्रेस सांसद डॉ. मोहम्मद जावेद ने कहा कि सभी दल अधिक से अधिक सीटें पाने की चाह रखते हैं, लेकिन गठबंधन में समझौता करना भी जरूरी है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सीट बंटवारे का निर्णय शांतिपूर्ण तरीके से होगा और यह बिहार के हित में होगा।

राष्ट्र प्रेस से बातचीत में उन्होंने कहा कि मुझे सीटों की संख्या के बारे में पूरी जानकारी नहीं है, लेकिन महागठबंधन में सभी सहयोगी दल यह चाहते हैं कि उन्हें अच्छी और अधिक सीटें मिलें। जहां तक मुझे पता है, सभी फैसले सम्मानजनक और शांतिपूर्ण तरीके से लिए जा रहे हैं। कांग्रेस केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) की बैठक में 25-30 सीटों पर चर्चा हुई, और लगभग 25 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम तय किए गए हैं। जल्दी ही सीटों की घोषणा की जाएगी।

उन्होंने कहा कि जब तक आधिकारिक घोषणा नहीं होती, तब तक इस पर टिप्पणी करना उचित नहीं है।

तेजस्वी यादव और मुकेश सहनी के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री पद को लेकर दिए गए बयानों पर उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री का फैसला गठबंधन के शीर्ष नेतृत्व द्वारा लिया जाएगा। जो भी फैसला होगा, वह बिहार के लिए अच्छा होगा। मुझे विश्वास है कि महागठबंधन बिहार में दो-तिहाई बहुमत के साथ सरकार बनाएगा।

नीतीश कुमार की सरकार पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि जब बिहार में हमारा शासन था तब बिहार देश के अग्रणी राज्यों में गिना जाता था। उस समय स्कूल, कॉलेज और अस्पतालों की संख्या अन्य राज्यों की तुलना में अधिक थी। लेकिन नीतीश कुमार के 20 साल के शासन में भ्रष्टाचार बढ़ गया है, शिक्षा का स्तर गिर गया है, और अस्पतालों में डॉक्टरों व स्कूलों में शिक्षकों की कमी है। बिहार की जनता नीतीश-मोदी सरकार से त्रस्त है। युवाओं के लिए रोजगार के अवसर नहीं हैं, और यह उनके अभिभावकों के लिए एक बड़ा मुद्दा है।

महागठबंधन में 'बड़े भाई' की भूमिका पर उन्होंने स्पष्ट किया कि गठबंधन में कोई बड़ा या छोटा भाई नहीं है। सभी सहयोगी दलों का सम्मान बराबर है। हम एक-दूसरे की ताकत और सम्मान को ध्यान में रखकर फैसले ले रहे हैं।

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के बिहार चुनाव में एंट्री पर उन्होंने कहा कि पिछले चुनाव में ओवैसी के कारण जो नुकसान होना था, वह हो चुका है। बिहार की जनता अब समझ चुकी है कि सरकार या तो एनडीए बनाएगी, जिसके आसार कम हैं, या महागठबंधन ही बिहार में अगली सरकार बनाएगी।

Point of View

यह स्पष्ट है कि महागठबंधन में सभी दलों की आकांक्षाएं हैं। हालांकि, समझौता और तालमेल आवश्यक हैं। चुनावी नतीजे बिहार के विकास की दिशा तय कर सकते हैं।
NationPress
09/10/2025

Frequently Asked Questions

महागठबंधन का प्रमुख उद्देश्य क्या है?
महागठबंधन का उद्देश्य बिहार में एक स्थिर और प्रभावी सरकार बनाना है जो जनता के मुद्दों का समाधान कर सके।
क्या महागठबंधन दो-तिहाई बहुमत प्राप्त कर पाएगा?
यह चुनावी परिणामों पर निर्भर करेगा, लेकिन डॉ. मोहम्मद जावेद का विश्वास है कि महागठबंधन यह हासिल कर सकता है।
नीतीश कुमार की सरकार पर क्या आरोप हैं?
नीतीश कुमार की सरकार पर भ्रष्टाचार, शिक्षा के स्तर में गिरावट और रोजगार के अवसरों की कमी जैसे आरोप लगाए जा रहे हैं।
महागठबंधन में प्रमुख दल कौन-कौन से हैं?
महागठबंधन में कई प्रमुख दल शामिल हैं, जिनमें कांग्रेस, राजद, और अन्य क्षेत्रीय दल शामिल हैं।
क्या ओवैसी का महागठबंधन पर प्रभाव है?
पिछले चुनाव में ओवैसी के प्रभाव का असर देखा गया था, लेकिन अब बिहार की जनता ने विकल्प स्पष्ट कर लिया है।