क्या महागठबंधन में आपसी खींचतान है? : आरपी सिंह

सारांश
Key Takeaways
- महागठबंधन में आपसी खींचतान की स्थिति है।
- कांग्रेस की स्थिति उत्तर प्रदेश जैसी है।
- चुनाव आयोग स्वतंत्रता से कार्य कर रहा है।
- उदयपुर फाइल्स फिल्म को देखना चाहिए।
- आपातकाल पर शशि थरूर के बयान का महत्व है।
नई दिल्ली, 10 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार बंद के दौरान कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार और पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव को नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और राजद नेता तेजस्वी यादव के रथ पर चढ़ने से रोक दिया गया। इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता आर.पी. सिंह ने कहा कि महागठबंधन में आपसी खींचतान है, और बिहार में कांग्रेस की स्थिति उत्तर प्रदेश के समान है।
आर.पी. सिंह ने आगे कहा, "महागठबंधन में आपसी खींचतान स्पष्ट है। बिहार में कांग्रेस की स्थिति उत्तर प्रदेश जैसी है। पहले उन्होंने उपचुनाव में 10 में से पांच सीटें मांगी, फिर अपनी मांग घटाकर दो सीटें कर दीं और अंततः अपने चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ने की बात की। इसके बावजूद वे बिल्कुल हाथ खाली रह गए और अखिलेश यादव ने उन्हें नकार दिया। इस प्रकार की स्थिति यहाँ भी है, जहाँ उनके नेताओं को मंच पर आने तक नहीं दिया गया। एकजुट होने का विचार अच्छा है, लेकिन सच्चाई यह है कि राजद किसी भी कीमत पर किसी भी कांग्रेस नेता या क्षेत्रीय नेता को अपने साथ सत्ता साझा नहीं करने देगा।"
विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग पर भाजपा के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया है। इस पर आर.पी. सिंह ने कहा, "चुनाव आयोग ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उसे मतदाताओं की परवाह है और चुनावी नियमों को अद्यतन रखना उसका कर्तव्य है। कानून यह भी कहता है कि केवल भारतीय नागरिक ही चुनाव में मतदान कर सकते हैं, विदेशी नहीं।"
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने अपनी ही पार्टी को आपातकाल पर घेरा है। उनके बयान को आर.पी. सिंह ने सही ठहराया है। उन्होंने कहा कि इससे सीख लेनी चाहिए। जिस तरीके से इमरजेंसी के दौरान लोगों को जबरदस्ती जेल में डाला गया और नसबंदी कराई गई, वह दिन देश के इतिहास का काला दिन था। आज के दौर में लोगों को अभिव्यक्ति की आजादी है, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश आगे बढ़ रहा है।
फिल्म 'उदयपुर फाइल्स' पर सुप्रीम कोर्ट के रोक नहीं लगने पर प्रतिक्रिया देते हुए आर.पी. सिंह ने कहा है कि यह सुप्रीम कोर्ट का एक अच्छा फैसला है, और यह फिल्म रिलीज होनी चाहिए। उदयपुर में कन्हैयालाल हत्याकांड पर बनी इस फिल्म को देशवासियों को देखना चाहिए। इससे पता चलेगा कि एक विचारधारा के लोग किस हद तक जा सकते हैं। सभी से अनुरोध है कि इस फिल्म को देखें ताकि लोग सच्चाई जान सकें।