क्या साल में एक बार खुलता है महाकाल के मंदिर के ऊपर बना यह मंदिर, सर्प दोष के जातकों को दर्शन देने आते हैं 'नागचंद्रेश्वर'?

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क्या साल में एक बार खुलता है महाकाल के मंदिर के ऊपर बना यह मंदिर, सर्प दोष के जातकों को दर्शन देने आते हैं 'नागचंद्रेश्वर'?

सारांश

उज्जैन के महाकाल नगरी में नागचंद्रेश्वर मंदिर के द्वार आज रात 12 बजे खुलेंगे। यह मंदिर महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की तीसरी मंजिल पर है और केवल एक दिन नागपंचमी पर खुलता है। जानें इस अद्वितीय मंदिर की विशेषताएं और दर्शन का महत्व।

Key Takeaways

  • नागचंद्रेश्वर मंदिर साल में एक बार खुलता है।
  • यह मंदिर महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की तीसरी मंजिल पर है।
  • यहां दर्शन मात्र से नागदोष दूर होने की मान्यता है।
  • मंदिर का पुनर्निर्माण 1732 में हुआ था।
  • मंदिर में अद्वितीय मूर्तियां स्थापित हैं।

उज्जैन, 28 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भारत के करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र महाकाल नगरी उज्जैन में स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर के द्वार आज रात ठीक 12 बजे श्रद्धालुओं के लिए खोले जाएंगे। यह मंदिर महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की तीसरी मंजिल पर स्थित है और दिलचस्प बात यह है कि इसके पट पूरे वर्ष में केवल एक दिन, नागपंचमी के शुभ अवसर पर ही खुलते हैं। मंदिर के खुलने के साथ ही श्रद्धालु यहां 24 घंटे तक दर्शन कर सकेंगे।

हिंदू धर्म में नागों की पूजा का विशेष महत्व है। इन्हें भगवान शिव का आभूषण और रक्षक माना जाता है। नागचंद्रेश्वर मंदिर भी इसी परंपरा का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि यहां दर्शन करने से नागदोष, कालसर्प दोष और अन्य बाधाएं समाप्त हो जाती हैं। महाकाल मंदिर के गर्भगृह के ऊपर ओंकारेश्वर मंदिर और सबसे ऊपर नागचंद्रेश्वर मंदिर स्थित है, जिसे देखने का अवसर केवल नागपंचमी पर मिलता है।

मंदिर में स्थित प्रतिमा अद्वितीय है, जिसे नेपाल से लाया गया था। इसमें भगवान शिव शेषनाग की शैय्या पर विराजमान हैं और उनके साथ माता पार्वती, गणेश, कार्तिकेय, नंदी, सिंह, सूर्य और चंद्रमा की सुंदर मूर्तियां भी स्थापित हैं। यह दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर माना जाता है, जहां भोलेनाथ इस रूप में विराजते हैं।

मान्यता के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण 11वीं सदी में परमार वंश के राजा भोज द्वारा करवाया गया था। बाद में 1732 में मराठा सरदार राणोजी सिंधिया ने इसका पुनर्निर्माण कराया। नागचंद्रेश्वर की मूर्ति भी उसी समय नेपाल से मंगाकर तीसरी मंजिल पर स्थापित की गई थी।

धार्मिक कथा के अनुसार, नागराज तक्षक ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर शिव ने उन्हें अमरत्व का वरदान दिया। इसके बाद तक्षक देव ने शिवजी के साथ रहना शुरू किया, लेकिन शिवजी को यह प्रिय नहीं था, क्योंकि वह एकांत और ध्यान के प्रेमी थे। तक्षक ने शिव की भावना को समझा और तभी से तय किया कि वह साल में केवल एक बार नागपंचमी के दिन ही उनके दर्शन करने आएंगे। इसी परंपरा के कारण मंदिर के कपाट केवल इसी दिन खोले जाते हैं।

प्रशासन का अनुमान है कि इस एक दिन में लगभग 10 लाख श्रद्धालु नागचंद्रेश्वर मंदिर के दर्शन करेंगे। हर श्रद्धालु को लगभग 40 मिनट के भीतर दर्शन कराने की योजना बनाई गई है। दर्शन व्यवस्था को सुचारू रखने के लिए विशेष सुरक्षा और मार्गदर्शन की व्यवस्था की गई है।

Point of View

हमारा यह मानना है कि नागचंद्रेश्वर मंदिर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भारतीय समाज में अद्वितीय है। श्रद्धालुओं के लिए यह एक महत्वपूर्ण अवसर है, और इसे सम्मानित करना चाहिए।
NationPress
23/08/2025

Frequently Asked Questions

नागचंद्रेश्वर मंदिर कब खुलता है?
यह मंदिर नागपंचमी के शुभ अवसर पर साल में एक बार खुलता है।
नागचंद्रेश्वर मंदिर की विशेषता क्या है?
यह मंदिर महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की तीसरी मंजिल पर स्थित है और अद्वितीय मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है।
यहां दर्शन करने से क्या लाभ होता है?
यहां दर्शन करने से नागदोष और कालसर्प दोष दूर होने की मान्यता है।
मंदिर में कितने श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है?
प्रशासन के अनुसार, इस दिन लगभग 10 लाख श्रद्धालुओं के आने की संभावना है।
नागचंद्रेश्वर की मूर्ति कहां से आई है?
यह मूर्ति नेपाल से लाई गई थी।