क्या महाराष्ट्र में हिंसा की संस्कृति है? दीपक केसरकर का बयान

सारांश
Key Takeaways
- महाराष्ट्र की संस्कृति चर्चा और संवाद पर आधारित है।
- हिंसा की कोई संस्कृति नहीं है।
- मराठी भाषा राज्य की सरकारी भाषा है।
- ठाकरे बंधुओं के रिश्ते व्यक्तिगत हैं।
- भारत विविधताओं से भरा एक अखंड देश है।
मुंबई, 7 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र में भाषा विवाद और उससे संबंधित हिंसक घटनाओं पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ बढ़ गई हैं। पूर्व शिक्षा मंत्री एवं शिवसेना नेता दीपक केसरकर ने सोमवार को इस पर अपनी कड़ी निंदा की।
दीपक केसरकर ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा, "महाराष्ट्र की संस्कृति कभी भी हिंसा की नहीं रही है। यहाँ हमेशा चर्चा और संवाद से समाधान निकाले जाते हैं। महाराष्ट्र एक प्रगतिशील विचारों वाला राज्य है और इसकी यही पहचान बनी रहनी चाहिए।"
उन्होंने कहा, "जो लोग महाराष्ट्र में रहते हैं, वे मराठी भाषा को सही से समझते हैं। जैसे कर्नाटक में कन्नड़ और गुजरात में गुजराती बोली जाती है, वैसे ही महाराष्ट्र में मराठी बोलना स्वाभाविक है। राज्य की सरकारी भाषा मराठी है और यह हमारे कानून में भी स्पष्ट है। इसलिए मराठी में कार्य होना आवश्यक और सामान्य बात है।"
ठाकरे बंधुओं (राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे) के मराठी भाषा को लेकर एक साथ कार्यक्रम करने की अटकलों पर उन्होंने कहा, "चुनावों के नजदीक आते ही इस तरह की बातें सामने आती हैं। ठाकरे परिवार एक है; वे एक साथ आएँ या नहीं, यह उनका व्यक्तिगत निर्णय है। इसमें बाहरी हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता नहीं।"
बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री के देश को भगवा-ए-हिंद बनाने वाले बयान पर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। दीपक केसरकर ने कहा, "भारत एक अखंड और विविधताओं से भरा देश है। इस बयान पर किसी को बुरा नहीं मानना चाहिए।"
ज्ञात हो कि इससे पहले पटना में सनातन महाकुंभ कार्यक्रम में पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कहा था कि कुछ लोग गजवा-ए-हिंद करना चाहते हैं, लेकिन हम भगवा-ए-हिंद करना चाहते हैं। मैं किसी एक पार्टी का नहीं, बल्कि जिस पार्टी में हिंदू हैं, उस पार्टी का हूं।